लैंड पूलिंग कानून पर वादाखिलाफी से नाराज किसान संघ, दिसंबर में उज्जैन में प्रदेशव्यापी आंदोलन की चेतावनी

Bhopal News : मध्य प्रदेश में भारतीय किसान संघ ने सरकार के खिलाफ एक बड़े आंदोलन का ऐलान किया है। संघ ने उज्जैन सिंहस्थ क्षेत्र में लागू लैंड पूलिंग कानून को निरस्त करने की अपनी मांग को लेकर सरकार को सात दिनों का अल्टीमेटम दिया है।

संघ का आरोप है कि मुख्यमंत्री की घोषणा के बावजूद सरकार ने कानून निरस्त करने की जगह सिर्फ संशोधन का आदेश जारी किया है, जो किसानों के साथ धोखा है।

बुधवार को हुई भारतीय किसान संघ की ऑनलाइन प्रदेश कार्यकारिणी बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक में संघ के अखिल भारतीय स्तर के अधिकारी भी मौजूद थे। संघ ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानीं तो दिसंबर के अंतिम सप्ताह में उज्जैन में एक विशाल प्रदेशव्यापी आंदोलन किया जाएगा, जिसमें हजारों किसान शामिल होंगे।

घोषणा के बावजूद संशोधन क्यों?

किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह आंजना ने सरकार और प्रशासन के रवैये पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने बातचीत के बाद कानून को निरस्त करने की घोषणा की थी, लेकिन अधिकारियों ने केवल संशोधन का आदेश निकाला।

“सरकार व प्रशासनिक अधिकारियों से बातचीत के बाद मुख्यमंत्री ने लैंड पूलिंग कानून को निरस्त करने की घोषणा की थी लेकिन आदेश संशोधन का निकाला गया। इस संशोधन आदेश के पीछे प्रशासनिक अधिकारियों की मंशा क्या है और उनके कौन से निजी हित हैं, यह स्पष्ट होना चाहिए।” — कमल सिंह आंजना, प्रदेश अध्यक्ष, भारतीय किसान संघ

संघ ने आंदोलन की तैयारियों के लिए सभी प्रांत, जिला, तहसील और ग्राम समितियों में बैठकें आयोजित करने के निर्देश जारी कर दिए हैं।

ये हैं संघ की चार प्रमुख मांगें

किसान संघ ने सरकार के सामने चार मुख्य मांगें रखी हैं और इन्हें तत्काल पूरा करने को कहा है:

1. सिंहस्थ क्षेत्र से लैंड पूलिंग कानून को तत्काल निरस्त करने का गजट नोटिफिकेशन जारी हो।
2. आंदोलनकारी किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएं।
3. टीडीएस की धारा 8/9/10/11 से जुड़े गजट नोटिफिकेशन रद्द हों।
4. सिंहस्थ क्षेत्र में किसी भी तरह का स्थायी निर्माण न किया जाए।

खाद, MSP और बिजली पर भी सरकार को घेरा

बैठक में सिर्फ लैंड पूलिंग कानून ही नहीं, बल्कि किसानों से जुड़े अन्य अहम मुद्दों पर भी चर्चा हुई। प्रदेश के विभिन्न प्रांतों से जुड़े पदाधिकारियों ने खाद की कमी, मक्का की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदी न होने और प्याज के बाजार में कम दाम मिलने पर गहरी नाराजगी व्यक्त की।

इसके अलावा, रात में बिजली की सप्लाई और धान के लिए कम खरीदी केंद्र बनाए जाने जैसे मुद्दों पर भी सरकार को घेरा गया। किसान संघ ने मांग की है कि सरकार मक्का और प्याज उत्पादक किसानों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए तत्काल प्रति क्विंटल राहत राशि प्रदान करे।