ब्लैक आउट मॉकड्रिल में दिखा इंदौर शहर का अनुशासित जज़्बा,जो जहां था वहीं थम गया

देशभर में गृहमंत्रालय द्वारा जारी आदेशों के तहत मार्कड्रिल और ब्लैक आउट किया गया। इसमें सिविल डिफेंस द्वारा जहां दिन में 4 बजे सुरक्षा की मार्कड्रिल डेंटल कॉलेज में की गई वहीं शाम 7.30 बजे से शुरू हुए मार्कड्रिल के दौरान पूरा इंदौर थम गया। जो जहां था वहीं रुक गया। यह इंदौर शहर की एकजुटता की परीक्षा थी जिसमें इंदौरवासियों ने अपने दृढ़ निश्चय का परिचय दिया।

थम गया सब कुछ
इंदौर एक ऐतिहासिक पल का गवाह बना जब पूरा शहर मानो एक साथ ‘रुक’ गया। इंदौर शहर देर शाम 7:30 से 7:42 बजे तक रूक गया। पूरे  इंदौर में ब्लैक आउट मॉकड्रिल के तहत ऐसा दृश्य बना जैसे किसी फिल्म का फ्रेम हो बिना रोशनी, बिना शोर, और बिना हलचल के पूरा शहर और इंदौरवासी रूक गए। मार्कड्रिल के पहले पुलिस प्रशासन के द्वारा ट्रेफिक रोकने के साथ ही ब्लैक आउट मार्कड्रिल की सुचना दी गई।

साइरन की आवाज से गुंजा शहर
इंदौर शहर में ब्लैक आउट मार्कड्रिल के साथ ही शहर के थमने की शुरूआत हुई और पूरा शहर शांत हो गया। चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था। पुरे शहर में शांति छा गई थी। जो जहां था वहीं रुक गया । इसके 12 मिनट के ब्लैक आउट के बाद वापस साइरन बजा और ब्लैक आउट खत्म हो गया इसके बाद सभी ने वापस चलना शूरू किया।

क्या है ब्लैक आउट और क्यों है ज़रूरी?
ब्लैक आउट कोई आम बिजली कटौती नहीं है, बल्कि एक रणनीतिक अभ्यास है। इसका मकसद है ये जांचना कि युद्ध या किसी आपदा की स्थिति में प्रशासन और जनता कितनी जल्दी और कितनी समझदारी से प्रतिक्रिया दे सकते हैं। बिजली बंद, ट्रैफिक ठप, लोग जहां हैं वहीं रुकेंगे यहीं एक युद्ध से पहले का परिक्षण है जब हम सब मिल कर यह बताते हैकि इंदौर शहर किसी भी स्थिति के लिए तैयार है। यह ब्लैक आउट हमारे सेना के समर्थन और हौसला अफजाई के लिए किया जाता है।