धन्य है महारानी मणिमाला और वह वीरांगनाएं जिन्होंने हंसते हंसते अपने आप को अग्नि कुंड में समर्पित कर दिया राज्यमंत्री बृजेंद्र सिंह

चंदेरी जौहर दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में राज्यमंत्री सहित भाजपा जिला अध्यक्ष हुए शामिल,दीप जलाकर दी महारानी मणिमाला और वीरांगनाओ को श्रद्धांजलि

शिवनारायण कुरोलिया/ अशोकनगर- धन्य राजा मेदनी राय, धन्य है महारानी मणि माला, धन्य है वह 1600 वीरांगनाएं जिन्होंने लड़ते-लड़ते हंसते-हंसते अपने आप को अग्नि कुंड में समर्पित कर दिया, राज्य की रक्षा और अपनी अस्मिता के लिए प्राणों को न्यौछावर कर दिया। उक्त आशय के उद्गार रविवार को जिले के चंदेरी स्थित कीर्ति दुर्ग जोहर मणि माला खंगार प्रांगण किला पर क्षत्रिय खंगार राजपूत समाज समिति युवा मंडल चंदेरी द्वारा जोहर दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान पीएचई राज्यमंत्री बृजेंद्र सिंह यादव ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि यह देश का दूसरा सबसे बड़ा जोहर दिवस है। उन्होंने कहा कि आज के जमाने में हम बात करें तो कहीं ऐसी नौबत आई तो लोग अपने आपको समर्पण कर देंगे।

लेकिन वो क्षत्रीय वो महाराज, महारानी, वो 1600 वीरांगनाएं जिन्होंने हंसते- हंसते लड़ते-लड़ते अपने आप को अग्निकुंड में समर्पित कर दिया। इस दौरान भाजपा जिला अध्यक्ष आलोक तिवारी ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता क्षत्रिय खंगार समाज विकास संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश खंगार नन्नाजी ने की। इस दौरान चंदेरी विधायक गोपाल सिंह चौहान, बाहर से पधारे समाज के अतिथि गण एवं चंदेरी ब्लॉक अध्यक्ष पर्वत सिंह परिहार सहित बड़ी संख्या में समाज के लोग मौजूद रहे।कार्यक्रम के दौरान महारानी मणि माला,1600 वीरांगनाओं के बलिदान की याद में दीप जलाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। इसके पूर्व समाज प्रमुख ने राज्यमंत्री को सरोफा बांध कर, माल्यार्पण कर स्वागत किया।

तत्पश्चात उपस्थित अन्य अतिथियों का माल्यार्पण से स्वागत किया गया। उल्लेखनीय है कि 29 जनवरी 1528 को आज ही के दिन चंदेरी के राजा मेदिनी राय की धर्मपत्नी महारानी मणि माला ने 1600 क्षत्राणियों के साथ अपने सतित्व की रक्षा के लिए राष्ट्र के प्रति अपने समर्पण का अप्रतिम उदाहरण प्रस्तुत करते हुए जोहर मनाया था, यानी स्वयं जीवित रहते हुए अग्नि को समर्पित होना। जैसा की विदित है मुगल आक्रांता वावर और मेदनी राय का युद्ध हुआ 27, 28 और आखिर में 29 जनवरी 1528 को जब युद्ध निर्णायक स्थिति में पहुंचा, रानी को लगा कि अब जीत संभव नहीं है, पराजय सन्निकट है तब उन्होंने अपने सतित्व की रक्षा के लिए 1600 वीरांगनाओं सहित जोहर किया था। तब से उनकी याद में जोहर दिवस मनाया जाता है।