पटेल और गुड्डा की भूमिका आखिर क्या थी Bloomberg में

स्वतंत्र समय, इंदौर

सुपर कॉरिडोर के नाम पर ब्लूमबर्ग ( Bloomberg ) कॉलोनी कलंक साबित हो गई है। मेन रोड से तीन किलोमीटर अंदर बनी इस कॉलोनी में सुरेश पटेल और गुड्डा पटेल की क्या भूमिका थी, इसकी कुंडली भी निकाली जा रही है। आखिर प्रफुल्ल सकलेचा का इन दोनों से कमर्शियल गठबंधन क्या था, इसका पता किया जा रहा है।

Bloomberg के डायरी वालों को जान से मारने की मिल रही धमकी

डायरी के नाम पर तमाशा बन चुकी ब्लूमबर्ग ( Bloomberg ) कॉलोनी के पीड़ित अब हर रोज एक-दूसरे को फोन लगा रहे हैं। पूछ रहे हैं कि शिकायत कहा करें, किसको करें, किससे मिले, तो ‘स्वतंत्र समय ’ पहले ही बता चुका है कि ब्लूमबर्ग के पीड़ित सीधे कलेक्टर आशीष सिंह और एसडीएम कालोनी सेल के प्रभारी प्रदीप सोनी से मिल सकते हैं। यदि दोनों अफसर दफ्तर में नहीं मिल पाते हैं तो उनके यहां शिकायत लिखित में दर्ज करा सकते हैं। प्रशासन साफ कह चुका है कि जो लोग शिकायत करेंगे, उन्हीं का निरीकरण होगा। यह भी कहा जा रहा है कि ब्लूमबर्ग के डायरी वालों को अब तो जान से मारने की धमकी भी दी जा रही है। अभी तक कॉलोनी में मकान बनाने की अनुमति नहीं मिली है।

स्वतंत्र समय को जवाब दे प्रफुल्ल सकलेचा

ब्लूमबर्ग कॉलोनी का पूरा मामला हम लगातार प्रकाशित कर रहे हैं। इस बारे में प्रफुल्ल सकलेचा से कई बार बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उनका मोबाइल नबंर बंद रहता है। उनके घर पर भी सकलेचा नहीं मिलते हैं। घर में रहने के बावजूद कैमरे में देखकर उनके परिवार के सदस्य दरबाजा खोलकर मना कर देते हैं कि अभी प्रफुल्ल सकलेचा घर पर नहीं हैं जबकि वास्तव में वह घर में ही रहते हैं। स्वतंत्र समय अखबार अभी शिकायतकर्ताओं की शिकायत और अफसरों से बातचीत के आधार पर खबर प्रकाशित कर रहा है। हम चाहते हैं कि खुद प्रफुल्ल इस मामलेे में सामने आकर अपना स्पष्टीकरण दें। यदि सकलेचा सामने नहीं आते हैं तो लिखित में अपना बयान भेज सकते हैं। हम इस मामले में स्वस्थ पत्रकारिता करते हुए चाहते हैं कि सकलेचा बताएं कि वास्तविक स्थिति क्या है। जब भी सकलेचा का लिखित बयान हमें मिलेगा हम उसे प्रमुखता से प्रकाशित करेंगे। वैसे जिला प्रशासन के बार-बार नोटिस देने के बाद भी सकलेचा कभी कलेक्टर आफिस में जाकर हाजिर नहीं हुए।

किसके पास कॉलोनी का हिसाब…?

कॉलोनी कटने से लेकर आज तक का हिसाब भी किसके पास है, यह बात किसी को पता नहीं। पूर्व विधायक विशाल पटेल के काका सुरेश पटेल और गुड्डा पटेल की भूमिका भी अलग-अलग बताई जा रही है। इस कालोनी में कई बार लफड़े हो चुके हैं। सुरेश पटेल ने कुछ लोगों को, कुछ साल पहले प्लॉट दिलवाए थे, लेकिन उसमें से भी कुछ की रजिस्ट्री हुई और कुछ की नहीं हो पाई। इसके अलावा यह बात भी सामने आ रही है कि गुड्डा पटेल का भी ब्लूमबर्ग कालोनी के कर्ताधर्ता प्रफुल्ल सकलेचा से विवाद हो चुका है। दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ काफी कुछ कहा था। अब सुरेश पटेल भी इस कॉलोनी से बाहर हो गए हैं। पटेल से सकलेचा की क्या लिखा-पढ़ी हुई थी, या नहीं हुई थी, इसकी जानकारी भी स्पष्ट नहीं मिल पा रही है। डायरी के लेनदेन में नगद पैसे जो आए, वो कालोनाइजर सकलेचा ने कहां ठिकाने लगाए, इसका भी पता नहीं चल पा रहा है। सकलेचा तो प्लॉट वालों को कभी मिलता नहीं है इसलिए, सही जवाब किसी के पास नहीं है। कुल मिलाकर सकलेचा को जिला और पुलिस प्रशासन का कोई डर नहीं है क्योंकि वह भाजपा नेताओं में शरण में है।