स्वतंत्र समय, इंदौर
ब्लूमबर्ग (ऑर्चिड पार्क) के कॉलोनाइजर प्रफुल्ल सकलेचा ( Prafulla Saklecha ) के खिलाफ एक और एफआईआर दर्ज की जा सकती है। धोखाधड़ी और शासन को आर्थिक नुकसान पहुंचाने जैसी शिकायतों की जांच के बाद संयुक्त कलेक्टर एवं कॉलोनी सेल के प्रभारी अधिकारी ने यह आदेश दिया है। साथ ही कॉलोनी की जमीन की खरीदी-बिक्री पर भी तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। संयुक्त कलेक्टर ने एसडीओ हातोद को पुलिस रिपोर्ट दर्ज करवाए जाने का निर्देश दिया है।
Prafulla Saklecha पर धोखाधड़ी की शिकायत
लोकेश जैन निवासी जवाहर मार्ग, ओम नमकीन व अन्य ने प्रफुल्ल सकलेचा (फॉर एक्स्ट्रॉन रियलिटी-इंडिया प्रालि) ( Prafulla Saklecha ) द्वारा सुपर कॉरिडोर के पास ग्राम सोनगीर, तहसील-हातोद में विकसित की गई ब्लूमबर्ग कॉलोनी (वर्तमान नाम ऑर्चिड पार्क) के संबंध में धोखाधड़ी की शिकायत इसी साल जनवरी में कलेक्टर को की थी। इसमें बताया गया कि इस कॉलोनी में लोकेश जैन और अन्य 80 लोगों ने 20 बाय 50 अर्थात 1000 वर्गफीट के भूखण्ड बुक किए। प्रत्येक भूखण्ड के लिए सकलेचा को 4.51 लाख रुपए देकर बिक्री एग्रीमेंट 2012, 2013 और 2014 में किया। सकलेचा ने ये सारे सौदे डायरी पर किए, लेकिन भूखंड किसी को नहीं दिए। बाद में जैन को पता चला कि उसने ये भूखंड किसी और को बेच दिए हैं। इस पर उसने व अन्य जब दबाव बनाया तो हरेक को प्लॉट के बदले मात्र 2.25 लाख देने का वादा किया। इसके लिए उसने इन्हें चेक भी दिए पर बैंक में तत्काल न लगाने को कहा। जब इन चेक की समयसीमा निकल गई तो पैसे देने से मुकर गया। शिकायतकर्ता व अन्य लोगों को 3.61 करोड़ रुपए इससे लेना हैं, पर वह लगातार टालमटोली करते हुए न तो पैसे दे रहा है और न ही भखंडों का कब्जा देकर उनकी रजिस्ट्री करवा रहा है। इस पर जैन ने थाना छत्रीपुरा में भी सकलेचा के खिलाफ शिकायत की। पर पुलिस ने इसे आपसी लेनदेन का मामला बताया।
शासन के साथ धोखाधड़ी
ग्राम सोनगीर की खसरा नंबर 290/2/2 व अन्य की 17.596 हैक्टेयर जमीन पर टीएंडसीपी ने अप्रैल 2012 में विकास अनुमति दी थी। इसके आधार पर जून 2012 में एसडीओ हातोद ने कॉलोनी विकास अनुमति दी थी। विकास अनुमति की शर्त क्रमांक 7 में साफ लिखा है कि अनुज्ञा जारी होने की तारीख से तीन महीने की अवधि में धरोहर के रूप में बंधक रखे गए भूखण्ड क्रमांक 48 से 50, 120 से 132, 150 से 180, भूखण्ड एलजी 32 से 42 कुल भूखंड 58 की 4900 वर्गमीटर जमीन का बंधकनामा, भूमिस्वामी व विकासकर्ता के मध्य विकास संबंधी एग्रीमेंट करवाना जरूरी है, जिसकी एक प्रति कॉलोनी सेल और एक प्रति पंचायत कार्यालय में जमा करवाना होगी। पर उक्त शर्त का पालन न करने पर धरोहर के रूप में रखे गए भूखण्डों को राजसात करने के साथ 65.18 लाख की बैंक ग्यारंटी भी जर्त करने और निर्धारित राशि के स्टॉम्प के अंतर की राशि को भू-राजस्व के तौर पर वसूलने का नोटिस एसडीओ ने फरवरी 2015 में कॉलोनाइजर को जारी किया। इसके बाद सौदा बाई, रामकन्याबाई व संगीताबाई ने मार्च 2015 में जवाब पेश करते हुए पूर्व में प्रस्तावित 178 भूखण्डों के स्थान पर नए 180 भूखण्ड, जिनका क्षेत्रफल 20675 वर्गमीटर था, बंधक रखने की सहमति दी।
हाईकोर्ट का आदेश भी नहीं माना
इधर कॉलोनाइजर ने 2015 में ही हाईकोर्ट में भी एक याचिका लगा दी। इस याचिका में अगस्त 2015 में आदेश आया, जिसमें हाई कोर्ट ने कलेक्टर के आदेशों को निरस्त करते हुए कॉलोनाइजर को आदेश दिया कि वह अगस्त 2015 के पहले के सारे दस्तावेज एसडीओ हातोद के सामने पेश करे। एसडीओ हातोद को निर्देश दिया कि वे याचिकाकर्ता के दस्तावेजों के आधार पर उसे सुनवाई का अवसर देते हुए ताजा एवं उचित निर्णय लें। कोर्ट के आदेश के बाद कॉलोनी की सारी अनुमतिया फिर से जिंदा हो गईं। पर कोर्ट के आदेश के बाद भी कॉलोनाइजर दस्तावेजों के साथ एसडीओ हातोद के सामने पेश नहीं हुआ।
कलेक्टर ने निरस्त की थीं अनुमतियां
कलेक्टर ने कॉलोनी की अनियमितताओं के चलते मार्च 2015 में ही एक आदेश पारित किया, जिसमें ब्लूमबर्ग रियलिटी इंडिया प्रा.लि. के पक्ष में रजिस्ट्रीकरण प्रमाण पत्र और विकास अनुमति को निरस्त कर दिया। साथ ही कॉलोनाइजर से कॉलोनी व्यय के पेटे में रखे गए 17.59 लाख के डीडी के साथ 65.18 लाख की बैंक गारंटी भी जब्त करने के साथ बंधक रखे गये 178 भूखण्डों का आगामी आदेश तक किसी भी प्रकार से अंतरण ना करने का निर्देश दिया। वहीं एग्रीमेंट और बंधक पत्र के निष्पादन में शासन को हुई स्टाम्प ड्यूटी की हानि को भू-राजस्व के बकाया के रूप में वसूल करने का आदेश दिया। इसके बाद तहसीलदार हातोद ने मई 2015 में स्टॉम्प शुल्क की चोरी के लिए 42 लाख और बंधक पेटे चोरी के लिए 6.20 लाख, सुपरविजन चोरी के लिए 17.59 लाख यानी कुल 65.59 लाख की राशि का डिमांड नोटिस कॉलोनाइजर को दिया, पर उसने राशि जमा नहीं की।
कॉलोनी का विकास अधूरा, कोर्ट की भी अवहेलना
आरआई कॉलोनी सेल ने जनवरी 2024 में कॉलोनी का निरीक्षण किया, इस दौरान यहां कई तरह की अनिमितताएं पाईं गईं। आरआई ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि कॉलोनी में सडक़ निर्माण है, लेकिन विद्युत का कार्य नहीं किया गया। बिजली के खम्बे, ट्रान्सफार्मर आदि भी नहीं है, बगीचे विकसित नहीं हैं। हाईकोर्ट के आदेश के बाद विकास अनुज्ञा जिंदा होने के 9 साल बाद भी विकासकार्य पूरा नहीं किया गया है, जो कि मध्यप्रदेश पंचायत राज अधिनियम 1993, ग्राम पंचायत (कॉलोनाईजर का रजिस्ट्रीकरण, निर्बन्धन तथा शर्तें) नियम 1993 और ग्राम पंचायत (कॉलोनियों का विकास) नियम 2014 के प्रावधानों के खिलाफ है। वहीं एसडीओ के सामने पेश न होना कोर्ट के आदेश की अवहेलना है। इसके बाद कॉलोनाइजर को अप्रैल 2024 में नोटिस दिया, तो उसकी तरफ से जवाब व दस्तावेज पेश किए गए। हालांकि सुनवाई के दौरान उसका जवाब संतोषजनक नहीं पाए गए।
संयुक्त कलेक्टर ने कहा-दर्ज करो एफआईआर
संयुक्त कलेक्टर ने 18 जून को दिए अपने आदेश में कहा है कि प्रफुल्ल सकलेचा ने लोकेश जैन व अन्य के साथ धोखाधड़ी जैसे गम्भीर अपराध किए हैं। विकास अनुबंध एवं बंधकनामे का रजिस्ट्रार कार्यालय में पंजीयन ना करवाकर शासन को भी आर्थिक हानि पहुंचाई है। साथ ही विकास अनुमति की निर्धारित समयसीमा में कॉलोनी का विकास कार्य पूरा नहीं किया, जो हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन है। इसके अलावा मध्यप्रदेश पंचायत राज अधिनियम 1993, ग्राम पंचायत (कॉलोनाइजर का रजिस्ट्रीकरण, निर्बन्धन तथा शर्तें) नियम 1993 और ग्राम पंचायत (कॉलोनियों का विकास) नियम 2014 के प्रावधानों का भी उल्लंघन है। इसलिए उक्त जमीन की खारीदी-बिक्री के साथ नामान्तरण पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाती है। वहीं सकलेचा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने के लिए एसडीओ हातोद को निर्देशित किया जाता है।
तीन साल पहले भी हो चुकी है एफआईआर
भूमाफिया के खिलाफ मुहिम के तहत 2021 में भी सकलेचा सहित आठ लोगों के खिलाफ प्रकरण दर्ज हुआ था। मामला ब्लूमबर्ग कॉलोनी का ही है। दरअसल उस समय तत्कालीन कलेक्टर मनीष सिंह ने जांच करवाई तो सामने आया कि सुपर कॉरिडोर की ब्लूमबर्ग नामक कॉलोनी में डायरी पर प्लॉट बेचे गए। कॉलोनी के डेवलपर प्रफुल्ल सकलेचा ने पटेल परिवार के साथ रेशो डील कर यह कॉलोनी विकसित की। विकसित किए गए भूखंडों से दोगुने भूखंड डायरियों पर बेच दिए और बाद में विकास कार्य भी नहीं किया। शिकायतकर्ता लगातार टाउनशिप के दफ्तर में चक्कर लगाते रहे, लेकिन उन्हें भूखंड नहीं मिले। बाद में कॉलोनी का नाम बदलकर एस्ट्रो ऑर्चिड कर दिया गया और नए सिरे से भूखंड बेच दिए गए। तब भी सकलेचा और अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला सिद्ध होने पर मनीष सिंह ने हातोद थाने में प्रफुल्ल सकलेचा, रामेश्वर गुड्डा पटेल, विवेक राठी, मयंक, रजनीश जैन, अशोक शर्मा, अनिल जैन, डॉ. अरुण जैन के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी।