BMC scam: श्रमिकों को मृत दिखाकर अंत्येष्टि की राशि हजम

स्वतंत्र समय, भोपाल

राजधानी की नगर निगम में अपने रजिस्टर्ड मजदूरों को मृत दिखाकर कफन-दफन की राशि के नाम पर घोटाला ( BMC scam  ) सामने आया है। एक श्रमिक की शिकायत की जांच करने पर नगर निगम में चल रहा घोटाला उजागर हुआ है। लोकायुक्त ने प्रारंभिक जांच के बाद भोपाल नगर निगम के 8 जोनल अधिकारी, 6 वार्ड प्रभारियों समेत 17 के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। जानकारी के अनुसार भोपाल नगर निगम ने पंजीकृत मजदूरों की मौत बताकर उन्हें मिलने वाली विभिन्न सहायता राशि का बड़ा घोटाला उजागर हुआ है।

BMC scam में संबल योजना की राशि का भुगतान करा लिया

इस घोटाले ( BMC scam ) में 123 पंजीकृत मजदूरों की मौत की फाइलें तैयार कर भवन संनिर्माण एवं कर्मकार मंडल को भेजी गईं। साथ ही मृतक के परिजनों को संबल योजना के तहत अंत्येष्ठि और मृत्यु सहायता के तौर पर मिलने वाली सहायता राशि का भुगतान भी करा लिया। घोटाले को अंजाम देने के लिए नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारियों ने श्रमिकों के मृत्यु प्रमाण पत्र से लेकर बैंक खातों से संबंधित रिकॉर्ड भी बकायदा तैयार कर सहायता राशि के लिए भेजे थे। फाइलों में प्रस्तुत किए गए। योहजना में पंजीकृत मजदूरों के परिजनों को दो से 4 लाख रुपए तक की सहायता राशि कर्मकार मंडल द्वारा प्रदान की जाती है।

ऐसे खुला पूरा फर्जीवाड़ा

जानकारी के अनुसार राजधानी के अशोका गार्डन स्थित कम्मू का बाग निवासी एक पंजीकृत श्रमिक अब्दुल कमर ने फरवरी महीने में लोकायुक्त में शिकायत दर्ज कराई थी। उसने बताया कि नगर निगम के अधिकारियों व कर्मचारियों ने सैयद मुस्तफा अली के बैंक खाते में दो लाख रुपए की राशि ट्रांसफर की है। जबकि वह जिंदा है। लोकायुक्त पुलिस ने इस मामले की जांच की तो 118 प्रकरणों को संदिग्ध पाया था।

बीएमसी ने नहीं दी गईं 95 फाइलें

लोकायुक्त पुलिस ने जांच की तो 118 संदिगध मामलों की फाइलें भोपाल नगर निगम से मांगी। मगर बीएमसी ने 23 प्रकरणों की फाइलें ही लोकायुक्त पुलिस को उपलब्ध कराईं। मामले से जुड़े 95 प्रकरणों की फाइलें नगर निगम के रिकॉर्ड से ही गायब बता दीं। इनन फाइलों के गायब होने के आधार पर संबंधित संदेहीजनों के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस ने कार्रवाई की है। इसी तरह का मामला पिछले साल भी सामने आया था। जब एक महिला की शिकायत पर नगर निगम ने 7 कंप्यूटर ऑपरेटर्स को नौकरी से हटा दिया था। छह जोन अधिकारियों को भी नोटिस दिया गया था। इस समय पकड़ में आर्इं 133 मामलों की जांच भी चल रही थी।

इनके खिलाफ प्रकरण दर्ज

इस मामले में लोकायुक्त ने जोनल अधिकारी सत्यप्रकाश बडग़ैया, परितोष रंजन, अवधनारायण मकोरिया, मयंक जाट, अभिषेक श्रीवास्तव, सुभाष जोशी, मृणाल खरे और अनिल कुमार शर्मा, वार्ड प्रभारी अनिल प्रधान, चरण सिंह खगराले, शिवकुमार गोफनिया, सुनील सूर्यवंशी, मनोज राजे और कपिल कुमार बंसल, कंप्यूटर ऑपरेटर सुधीर शुक्ला, नगर निगम कर्मचारी नवेद खान व 29 दिवसीय कर्मचारी रफत अली के खिलाऊ भी एफआईआर दर्ज की है। इसलिए हुआ घोटाला: राज्य शासन की संबल योजना के तहत सामान्य मृत्यु में 2 लाख और दुर्घटना में 4 लाख रुपए की सहायता का प्रावधान है। अंत्येष्टि के लिए 5 हजार रुपए अलग से श्रमिकों के परिजन को मिलते हैं।