कर्जदार हुए मस्त बैंक हुई त्रस्त, SC ने केन्द्र से मांगा जवाब

देशभर में संचालित बैंकों और फाइनेंशियल संस्थाओं ने सैकड़ों लोगों को कर्ज दे रखा है। वहीं कर्ज लेकर कर्जदार वापस रूपया भरने में रूचि नहीं दिखा रहे है। वहीं ऋण वसूली न्यायाधिकरण में भी अधिकारियों के नहीं होने के कारण वसूली के करोड़ों रूपए की मौज कर्जदार कर रहे है। इसकों लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई थी इसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने ऋण वसूली न्यायाधिकरण में पदों पर पदस्थापना ना करने को लेकर केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है।

याचिका कर्ता ने मांगा न्याय

याचिकाकर्ता निश्चय चौधरी की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस संजीव खन्ना के साथ जस्टिस संजय कुमार की सदस्यता वाली पीठ ने ऋण वसूली न्यायाधिकरण में खाली पड़े पदों को लेकर वित्त मंत्रालय से इसका जवाब मांगा है कि पद किन कारणों से खाली पड़े है।

39 पीठासीन अधिकारी के पद है खाली 

सुप्रीम कोर्ट में लगी याचिका में देश भर में 39 ऋण वसूली न्यायाधिकरण में पीठासीन अधिकारी के पद खाली होने का जिक्र किया गया है। इससे बैंकों और वित्तीय संस्थानों के कर्ज की वसूली नहीं हो पा रही है। वहीं न्यायाधिकरण का मुख्य काम ही प्रभावित हो रहा है। बता दें कि देश में बैंक एंड फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन्स एक्ट, 1993 के तहत कर्ज की वसूली के लिए ऋण वसूली न्यायाधिकरण की स्थापना की गई थी। लेकिन याचिकाकर्ता के अनुसार, 30 सितंबर 2024 तक भी पीठासीन अधिकारी के नहीं होन से 11 डीआरटी का काम प्रभावित हो गया है। बैंकों की वसूली नहीं होने से इन न्यायाधिकरणों के गठन का कोई मतलब ही नहीं रहा।

वित्त मंत्रालय से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय को डीआरटी में पीठासीन अधिकारियों की नियुक्ति और उनके चयन के संबंध में पूरा रिकॉर्ड मांगा है। इसके साथ ही कई अन्य बिन्दुओँ पर जानकारी मांगी है। ताकि इन न्यायाधिकरणों का काम सुचारू रूप से जारी रहे। साथ ही मांग की गई है कि जो न्यायाधिकरण संचालित नहीं हो रहे हैं, उनके कर्मचारियों को अन्य न्यायाधिकरणों में समायोजित करने की बात कही है।