भारत में कई धर्मों के लोग रहते है , जितने धर्म ,उतनी ही मान्यताए और उतने त्योहार । त्योहारों के साथ ही खरीदारी का दौर शुरू हो जाता है। बाजारों में स्वदेशी और विदेशी दो तरह के सामान मिलते हैं, लेकिन अक्सर सस्ते के चक्कर में हम विदेशी सामान खरीद लेते हैं। भारत में ज्यादातर चीनी सामान ही सस्ते में मिलता है जिसके चलते हम चीनी सामान खरीद कर ले आते है । यही गलती हम बार-बार करते है ,जिससे विदेशी उत्पादों की मांग बढ़ती है और चीन जैसे देश भारतीय बाजार पर अपना कब्जा बनाए रखते हैं।
भारत में हर महीने कोई न कोई त्यौहार मनाया जाता है इसीलिए भारत को त्योहारों का देश भी कहा जाता है ।पिछले कुछ वर्षों से देशभर में “बॉयकॉट चाइना” अभियान चल रहा है और इसका असर भी दिख रहा है। लेकिन पुरी तरह बदलाव तब आएगा जब हर भारतीय पुरी तरह से स्वदेशी उत्पादों को अपनाएगा। जब तक हम अपने देश में बने सामान नहीं खरीदेंगे, तब तक घरेलू उद्योग कैसे मजबूत होंगे?
आत्मनिर्भर भारत की ओर एक कदम बढ़ाए
सरकार लगातार स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए अभियान चला रही है। “वोकल फॉर लोकल” इसी का हिस्सा है। जब हम अपने आस-पास के छोटे उद्योगों, कारीगरों द्वारा बनाए गए उत्पादों को खरीदकर उनको बढ़ावा देते है । तो ये देश की प्रगती की रफ़्तार ओर भी तेजी से बढ़ जाती है
रक्षाबंधन में स्वदेशी राखियां अपनाये
हर साल रक्षाबंधन पर करोड़ों की राखियां बिकती हैं, और कई सालो से इसमें चाइनीज राखियों का बड़ा हिस्सा रहा है। डिज़ाइन और कम कीमत के चलते लोग चीनी राखियां खरीद लेते हैं। लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। बात करे 2024 की तो पिछले साल स्वदेशी राखियों की मांग बड़ी है। फिर भी, चीनी राखियों अभी भी बाजार में की मौजूद है और पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। इस रक्षाबंधन हर भारतीय को संकल्प लेना चाहिए की हर कलाई पर स्वदेशी राखी ही होगी।
दिवाली पर चीनी सजावट क्यों?
बाजारों में दिवाली पर आमतौर पे लोग चाइनीज झालरें, लाइट्स, मूर्तियाँ और अन्य सजावटी सामान खरीदते हैं। लेकिन ये पैसा चीन की अर्थव्यवस्था को मज़बूत करता है । साल 2023-24 में भारत ने चीन से ₹8.5 लाख करोड़ का सामान आयात किया, जिसमें ज्यादातर इलेक्ट्रॉनिक्स, प्लास्टिक और सजावटी वस्तुओं ही थी । CAIT की एक रिपोर्ट के अनुसार 2024 के त्योहारों में भारत का कुल ₹4 लाख करोड़ से अधिक का कारोबार रहा, जिसमें 70-80% हिस्सा स्वदेशी सामानों का था। इसका मतलब साफ़ है की देश में बदलाव की शुरुआत हो चुकी है।
जानिए कैसे आपकी एक खरीद बदल सकती है देश की दिशा
हर बार जब आप कोई उत्पाद खरीदने से पहले जरूर देख ले की ये उत्पाद स्वदेशी है या नहीं , ज्यादा से ज्यादा स्वदेशी उत्पाद ही ख़रीदे । अगर हम सब मिलकर छोटे-छोटे फैसले लेंगे, तो विदेशी वस्तुओं की मांग घटेगी और घरेलू उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। इन फेसलो से हम देश की प्रगति में योगदान दे सकते है।