Brij soil का सालाना कारोबार 108 करोड़, 3 हजार रुपए किलो तक बिक रही

स्वतंत्र समय, वृंदावन

ब्रज की रज ( Brij soil ) यानी वो मिट्टी, जिसमें श्रीकृष्ण खेले। जिसे खाकर मां यशोदा को मुंह में ही ब्रह्मांड दिखा दिया। इसी मिट्टी में गोसेवा की, गोपियों संग लीलाएं कीं। लोग इस रज को वैसे ही महत्व देते हैं, जैसे भगवान को। मान्यता है कि यहां की रज जिसके शरीर को छू जाए, उसका उद्धार हो जाता है। पहले लोग ब्रज आते थे, छोटी-छोटी थैलियों में मिट्टी रखकर घर ले जाते थे। समय के साथ कारोबारियों ने इस रज का भी मोल लगा दिया।

Brij soil दुकानों पर और ऑनलाइन बिकती है

अब ब्रज की रज ( Brij soil ) डिजाइनर पैकेट्स में दुकानों पर और ऑनलाइन बिकती है। इसका सालाना कारोबार 108 करोड़ तक पहुंच गया है। ऑनलाइन मार्केट में ब्रज की 200 ग्राम मिट्टी की कीमत 300 से 400 रुपए में बिक रही है। मगर, ब्रज के लोगों में रज के कारोबार को लेकर गुस्सा है। वृंदावन के बिहारी लाल कहते हैं- हम चाहते हैं कि लोग खुद ही इस रज को बेचना बंद कर दें। ऑनलाइन बिक्री को बैन कर देना चाहिए। बाहर से आने वाले श्रद्धालु इस रज में लोटपोट होकर इसको माथे से धारण करते हैं। कुछ लोग इसको बेचने का जो काम कर रहे हैं, वो दुखद है।