BRTS प्रोजेक्ट भोपाल में फेल, इंदौर में पास

विपिन नीमा, इंदौर

15 साल पहले लांच किया गया भारत सरकार का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट बीआरटीएस ( BRTS ) कॉरिडोर दिल्ली के बाद भोपाल में भी फेल हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में 360 करोड़ रुपए के लागत से बना कॉरिडोर को मोहन सरकार ने ध्वस्त कर दिया। बीआरटीएस को तोडऩे के पीछे मूल कारण यह हैं की भोपाल ट्रैफिक व्यवस्था और बिगड़ गई थी। भोपाल की तरह इंदौर में भी बीआरटीएस की ऐसी ही स्थित है, लेकिन गरीबों का संचालन बहुत अच्छी तरीके से किया जा रहा है। इंदौर के बीआरटीएस कॉरिडोर को और अच्छी तरीके से विकसित किया जा रहा है। आने वाले दिनों में कॉरिडोर को ग्रीन मोबिलिटी फ्रेंडली कॉरिडोर बनाने की तैयारी को जा रही हैं। राजीव गांधी चौराहे से लेकर निरंजनपुर चौराहे तक 11.54 किलोमीटर लंबे कॉरिडोर को को बनाने में 350 करोड़ रुपए की लागत आई थी। बताया जाता है की इंदौर का बीआरटीएस कॉरिडोर सबसे व्यवस्थित है। इसके बाद अहमदाबाद का बीआरटीएस का नम्बर आता है। जयपुर का बीआरटीएस को भी तोडऩे पर विचार चल रहा है।

इंदौर में भी BRTS कॉरिडोर को तोडऩे की उठी थी आवाज

सुगम यातायात को बीआरटीएस ( BRTS ) यानी बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम बसों के लिए बनाया जाने वाला कॉरिडोर है। इसे चौड़ी सडक़ों के बीचों-बीच बनाया जाता है, जिसमें पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए चलने वाली बसें चलती हैं। इस कॉरिडोर में बसों के अलावा किसी अन्य वाहन को जाने की इजाजत नहीं होती. बीआरटीएस कॉरिडोर यह सोचकर बनाया गया है कि इसमें बसें चलने के कारण ट्रैफिक व्यवस्था सुचारू रूप से चल सकेगी. साथ ही बसों के लिए अलग कॉरिडोर होने के कारण लोगों को जाम से मुक्ति मिलेगी। इसी उद्देश्य से भारत सरकार के जेएनयूआरएम प्रोजेक्ट के तहत बीआरटीएस कॉरिडोर को इंदौर और भोपाल में लाया गया। प्रोजेक्ट के 10 साल गुजारने के बाद भोपाल में यह सिस्टम पूरी तरह कॉलेप्स हो गया। जबकि इंदौर में प्रोजेक्ट पूरी सफलता के साथ संचालित हो रहा है। हालांकि इंदौर के लोगों ने भी कॉरिडोर को तोडऩे की आवाज उठाई थी, लेकिन अफसरो के कारण कॉरिडोर टूटने से बच गया।

पुरानी सरकार ने बनवाया और नई सरकार ने तुड़वाया

तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जब मुख्यमंत्री थे बीआरटीएस प्रोजेक्ट इंदौर और भोपाल में एक साथ लांच हुआ था। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मॉनिटरिंग में इंदौर – भोपाल में यह प्रोजेक्ट पूरा हुआ। इंदौर का कॉरिडोर 11.54 किलोमीटर लंबा है जो 350 करोड रुपए की लागत से बना है। जबकि भोपाल का कॉरिडोर 24 किलोमीटर का था जिस पर 360 करोड रुपए खर्च किए गए थे। भोपाल में कॉरिडोर के कारण बिगड़ी ट्रैफिक व्यवस्था को देखते हुए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के निर्देश पर कॉरिडोर को ध्वस्त कर दिया है। इंदौर में व्यवस्थित रूप से संचालित कॉरिडोर आगे बढ़ाया जा रहा है। भविष्य में को तोडऩे जैसी कोई प्लानिंग नहीं है।

दोनों शहरों के ट्रैफिक की एक जैसी समस्या

बीआरटीएस कॉरिडोर हटाने के लिए भोपाल की बिगड़ती यातायात व्यवस्था है। कॉरिडोर इसलिए हटा रहे हैं क्योंकि कॉरिडोर से सिर्फ सिटी बसें ही गुजरती हैं, जिस कारण दूसरी गाडिय़ां नहीं निकल पातीं हैं। कॉरिडोर के दोनों ओर वाहनों के जाम की स्थिति बनती है। यही स्थिति इंदौर में हैं। शाम के समय पलासिया चौराहे से विजयनगर चौराहे तक कॉरिडोर के दोनों तरफ की सर्विस रोड वाहनों का लंबा जाम लगा रहता है। जीपीओ चौराहे से लेकर शिवाजी का वाटिका चौराहे तक भी कॉरिडोर के दोनों और वाहनों की यही स्थिति रहती है। इंदौर में इतनी परेशानी होने के बावजूद भी कॉरिडोर संचालित हो रहा है।

हर दिन आई बस से 50 हजार यात्री करते हैं सफर

वर्तमान में, निरंजनपुर चौराहे और राजीव गांधी चौराहे के बीच बीआरटीएस पर प्रतिदिन लगभग 49 सार्वजनिक परिवहन बसें चलती हैं , जो लगभग 50,000 यात्रियों को ले जाती है। आगे की प्लानिंग यह हैं की कॉरिडोर में सिर्फ इलेक्ट्रिक बसें ही चलाई जाएगी, पुरानी डीजल बसों का स्थान लेने वाली एडवांस फीचर्स से लैस अब तक दस इलेक्ट्रिक बसें इंदौर आ भी चुकी है। जबकि करीब चालीस बसों और आना बाकी है, ये सभी बसें बीआरटीएस पर चलने वाली डीजल आई बस को रिप्लेस कर बीआरटीएस को ग्रीन मोबिलिटी फ्रेंडली कॉरिडोर बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगी।

बीआरटीएस की यह है वर्तमान स्थिति

  1. 59 आई बस दौड़ रही है
  2. 29 बस बसे सीएनजी
  3. 30 इलेक्ट्रिक्स बस
  4. डीजल बसों हटाया
  5. 50 हजार लोग प्रतिदिन कॉरिडोर में दौड़ रही आई बसों में सफर करते हैं।
  6. बस स्टॉप पर स्मार्ट कार्ड क्यूयूआरकोड की व्यवस्था हैं।
  7. वर्तमान में कॉरिडोर के भीतर दो पिंक बस महिला चला रही हैं।