स्वतंत्र समय, इंदौर
राजीव गांधी चौराहे से निररंजनपुर चौराहे तक बने 11.54 किलोमीटर वाले बीआरटीएस कॉरिडोर ( BRTS Corridor ) पर जनता की सुविधा से जुड़े दो बड़े प्रोजेक्ट पीपीपी मॉडल पर बनने वाले फूट ओव्हर ब्रिज (एफओबी) और 350 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाला एलिवेटेड कॉरिडोर दोनों ही प्रोजेक्टों की फाइल हमेशा-हमेशा के लिए बंद हो गई है। अब स्थानीय सरकार 350 करोड़ रुपए की लागत से बने बीआरटीएस कॉरिडोर पर छोटे ब्रिज बनाने की संभावना तलाशी जा रही है। ब्रिज का मॉडल कैसा होगा अभी तय नहीं हुआ है। कॉरिडोर पर मिनी ब्रिज बनाने के लिए पांच चौराहों चिन्ह्ति किए गए है। आईडीए और नगर निगम मिलकर कॉरिडोर का ट्रैफिक सर्वे करवाया जाएगा। सर्वे रिपोर्ट के बाद प्रोजेक्ट तैयार होगा।
BRTS Corridor पर तेजी से बढ़ता ट्रैफिक…
शहर के पूर्वी क्षेत्र में संचालित बीआरटीएस कॉरिडोर ( BRTS Corridor ) पर कई प्रयोग किए गए हैं। वर्तमान स्थिति में बीआरटीएस पर टै्रफिक का दबाव बढ़ता जा रहा है। जैसे जैसे बसों की सवारियां बढ़ती जा रही है वैसे ही बसों की संख्या में भी इजाफा होता जा रहा है। इस वक्त कॉरिडोर पर प्रतिदिन सुबह 7 बजे से रात 10 बजे तक लगभग 59 आई बसें ( 29 सीएनजी बस और 30 इलेक्ट्रिक बस ) दौड़ती है ओर इसमें हर रोज लगभग 80 हजार यात्री इसमें सफर करते है। कॉरिडोर में बसों की संख्या और बढ़ाई जा रही है। भविष्य में डबल डेकर बसें भी चलाना प्रस्तावित है।
दो बड़े प्रोजेक्ट धरातल पर भी नहीं उतर सके
बीआरटीएस कॉरिडोर पर फूट ओव्हर ब्रिज और एलिवेटेड कॉरिडोर बनाने के लिए चर्चाएं , खूब हुई, सर्वे हुआ औ र कई बार प्लान भी बना , लेकिन इंदौर का प्रशासन दोनों प्रोजेक्टों को धरातल पर नहीं उतार सका। सांसद शंकर लालवानी के प्रयासों से केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने एमआईजी से नवलखा चौराहे तक एलिवेटेड कॉरिडोर प्रोजेक्ट को मंजूरी देते हुए 350 करोड़ स्वीकृत भी कर दिए थे, और ब्रिज बनाने की जिम्मेदारी आईडीए को सौंपी गई थी। एलिवेटेड के लिए आईडीए ने लाखों रुपया खर्च सर्वे भी करवाया था, लेकिन पूरा प्रोजेक्ट अफसरों की लापरवाही के कारण उलझ कर रह गया। धरातल पर आने से पहले ही प्रोजेक्ट निरस्त हो गया। इसी प्रकार एलिवेटेड से पहले तात्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने कॉरिडोर पर 8 फूट ब्रिज बनाने की स्वीकृति प्रदान की थी। नगर निगम को ये सारे ब्रिज बनाने की जिम्मेदारी मिली थी, लेकिन उसने भी बगैर कुछ किए प्रोजेक्ट की हवा निकाल दी और आज भी कॉरिडोर के इस पार से उस पार जाने के लिए लोगों के लिए कोई सुविधा नहीं है।
तीसरे प्रोजेक्ट की संभावना देखी
दो बड़े प्रोजेक्ट निरस्त होने के बाद अब कॉरिडोर पर पांच चौराहों पर मिनी ब्रिज बनाने की चर्चा चल रही है। हालांकि प्रदेश के मुखिया मोहन यादव के सामने यह प्रस्ताव आया है और उन्होंने हामी भी भर दी है। आईडीए को कॉरिडोर के पांच प्रमुख चौराहों पर यातायात का सर्वे करने की जिम्मेदारी सौंप गई है। अधिकारियों से कहा गया है कि इन चौराहों पर सर्वे कराकर ब्रिज की आवश्यकता और उपयोगिता की जांच की जाएगी।
सर्वे में शामिल किए यह चौराहे
कलेक्टर के द्वारा दिए गए निर्देश के अनुसार इंदौर विकास प्राधिकरण को सर्वे करने के लिए एलआईसी चौराहा, इंडस्ट्री हाउस चौराहा, गीता भवन चौराहा, शिवाजी वाटिका चौराहा और नौलखा चौराहा सौपा गया है। इसमें इंडस्ट्री हाउस चौराहे पर यह देखना है कि इस चौराहे से पलासिया की तरफ ट्रैफिक का फ्लो कितना है। इसके साथ ही शिवाजी वटिका चौराहे पर यह देखना है कि इस चौराहे से जीपीओ की तरफ ट्रैफिक का फ्लो कितना है। अब प्राधिकरण के द्वारा इन सभी चौराहा पर यातायात की स्टडी कराई जाएगी। संभव है कि इस कार्य के लिए प्राधिकरण की ओर से अलग से टेंडर जारी किया जाएगा। यह स्टडी होने के बाद ही इन चौराहों पर ब्रिज के निर्माण के बारे में आगे की पहल हो सकेगी।