1 फरवरी 2026 को रविवार और रविदास जयंती, सीतारमण के 8वें बजट की तारीख पर असमंजस

आम बजट 2026 को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं, लेकिन इसकी तारीख को लेकर इस बार असमंजस है। वजह यह है कि 1 फरवरी 2026 को रविवार पड़ रहा है और उसी दिन गुरु रविदास जयंती भी है। 2017 में बजट की तारीख 1 फरवरी तय होने के बाद यह पहला मौका होगा जब यह दिन रविवार से टकरा रहा है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 2026-27 का बजट पेश करेंगी, जो उनका लगातार आठवां बजट होगा। इसके साथ वे देश की पहली ऐसी वित्त मंत्री बन जाएंगी जिन्होंने लगातार आठ बार पूर्ण बजट पेश किया हो। यह मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का दूसरा पूर्ण बजट भी होगा।

सरकार 1 फरवरी की परंपरा जारी रखने के पक्ष में

सरकारी सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार चाहती है कि बजट पारंपरिक तारीख यानी 1 फरवरी को ही पेश हो। संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा है कि अंतिम निर्णय उचित समय पर कैबिनेट कमेटी लेगी। रविदास जयंती को केंद्र की पब्लिक हॉलिडे लिस्ट में नहीं, बल्कि ‘रिस्ट्रिक्टेड हॉलिडे’ में शामिल किया गया है। ऐसे में रविवार को भी संसद की विशेष बैठक बुलाने में प्रक्रिया संबंधी कोई बाधा नहीं होगी।

संसद के इतिहास में भी कई अवसर ऐसे रहे हैं जब रविवार या अन्य छुट्टियों के दिन सदन चला है। 2020 में कोरोना महामारी के समय और 2012 में संसद की 60वीं वर्षगांठ पर रविवार को बैठक हुई थी। 1957 में बुद्ध पूर्णिमा पर भी दोनों सदनों को राष्ट्रपति ने संबोधित किया था। विशेषज्ञों का कहना है कि बजट संवैधानिक प्रक्रिया है, इसलिए विशेष परिस्थिति में रविवार को सत्र संभव है।

अगर रविवार को बजट न हुआ तो विकल्प क्या

अगर किसी कारण 1 फरवरी को सत्र न बुलाया गया, तो दो वैकल्पिक तारीखें बनती हैं। पहला विकल्प 31 जनवरी (शनिवार) है। 2020 और 2025 में भी बजट शनिवार को पेश किया गया था। दूसरा विकल्प 2 फरवरी (सोमवार) का है, जिसे बैकअप तारीख माना जा रहा है।

ब्रिटिश शासन से लेकर 2016 तक आम बजट हमेशा फरवरी के अंतिम कार्यदिवस यानी 28 या लीप ईयर में 29 फरवरी को पेश किया जाता था। 2017 में मोदी सरकार ने इस व्यवस्था को बदलकर तारीख 1 फरवरी कर दी थी। तत्‍कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसका कारण बजट लागू करने के लिए अधिक समय मिलना और रेलवे बजट को आम बजट में विलय बताया था।

सीतारमण मोरारजी देसाई के रिकॉर्ड की बराबरी करेंगी

सीतारमण के 8वें बजट के साथ वे पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के रिकॉर्ड की बराबरी कर लेंगी। देसाई ने भी कुल आठ पूर्ण बजट पेश किए थे, हालांकि वे दो अलग-अलग प्रधानमंत्रियों के अधीन कार्यरत थे। सीतारमण यह उपलब्धि एक ही नेतृत्व वाली लगातार दो सरकारों में हासिल करने वाली पहली वित्त मंत्री होंगी।

अब निगाहें कैबिनेट कमेटी के अंतिम फैसले पर हैं, जो यह तय करेगी कि क्या भारत का 80वां बजट रविवार को ही पेश होगा या फिर सरकार विकल्पों में से किसी दूसरी तारीख को मंजूरी देगी।