अल-फलाह यूनिवर्सिटी के चेयरमैन के मकान पर बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगी, हाई कोर्ट ने दिया 15 दिन का स्टे

Indore/Mhow: फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी के चेयरमैन जवाद सिद्दीकी से जुड़े महू के एक मकान पर चल रही बुलडोजर कार्रवाई पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। शुक्रवार को हुई सुनवाई के बाद कोर्ट ने महू कैंटोनमेंट बोर्ड की कार्रवाई पर 15 दिनों का अंतरिम स्थगन आदेश (स्टे) जारी किया है।

यह आदेश मकान में रह रहे अब्दुल माजिद द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगले 15 दिनों तक इस भवन पर किसी भी तरह की तोड़फोड़ नहीं की जाएगी। इस अवधि के बाद मामले में अगली सुनवाई होगी, जिसके आधार पर आगे की दिशा तय होगी।

याचिका में नोटिस को दी गई चुनौती

याचिकाकर्ता अब्दुल माजिद ने अपनी अर्जी में कैंटोनमेंट बोर्ड द्वारा जारी नोटिस को कई आधारों पर चुनौती दी थी। याचिका में कहा गया कि बोर्ड का नोटिस अस्पष्ट है और इसमें यह नहीं बताया गया है कि भवन का कौन-सा हिस्सा अवैध निर्माण के दायरे में आता है।

इसके अलावा, बोर्ड ने अपनी कार्रवाई का आधार 1996-97 के पुराने नोटिसों को बनाया है, जबकि मौजूदा स्थिति के अनुसार कोई ठोस तथ्य पेश नहीं किए गए। याचिका में यह भी दलील दी गई कि नोटिस जारी करते समय सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का भी पालन नहीं किया गया। इन्हीं तर्कों को आधार मानते हुए कोर्ट ने फिलहाल कार्रवाई पर रोक लगा दी है।

क्या है मालिकाना हक का मामला?

याचिका में मकान के स्वामित्व के बारे में भी जानकारी दी गई है। बताया गया कि यह मकान पहले जवाद सिद्दीकी के पिता हम्माद सिद्दीकी ने उन्हें उपहार में दिया था। बाद में, जवाद सिद्दीकी ने यह मकान अब्दुल माजिद को गिफ्ट कर दिया, जो काफी समय से अपने परिवार के साथ यहीं रह रहे हैं। इसके बावजूद कैंट बोर्ड ने केवल तीन दिन का अल्टीमेटम देकर तोड़फोड़ का नोटिस जारी कर दिया था।

दिल्ली ब्लास्ट से जुड़ा है यूनिवर्सिटी का नाम

गौरतलब है कि हरियाणा के फरीदाबाद में स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी का नाम 10 नवंबर को दिल्ली में हुए एक ब्लास्ट केस की जांच में सामने आया था। उस धमाके में 15 लोगों की जान चली गई थी और कई अन्य घायल हुए थे। इस मामले में यूनिवर्सिटी जांच के दायरे में रही है।