जब भी बुलडोजर की कार्रवाई की बात होती है, तो लोगों के मन में उत्तर प्रदेश का नाम सबसे पहले आता है. खासकर योगी आदित्यनाथ सरकार में बुलडोजर एक सख्त प्रशासनिक कार्रवाई का प्रतीक बन गया है. लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि देश में बुलडोजर की ताकत का पहला इस्तेमाल यूपी में नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश में हुआ था. यहां तक कि एमपी में एक ऐसे मंत्री भी थे, जिन्हें लोग ‘बुलडोजर मंत्री’ के नाम से जानने लगे थे.
कौन थे ‘बुलडोजर मंत्री’?
यह नाम जुड़ा है मध्य प्रदेश सरकार के नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह से. उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान अवैध कब्जों, माफियाओं और गैरकानूनी निर्माण के खिलाफ बेहद सख्त रुख अपनाया. खासतौर पर सागर, भोपाल, इंदौर और ग्वालियर जैसे बड़े शहरों में भूपेंद्र सिंह के आदेश पर प्रशासन ने दर्जनों की संख्या में बुलडोजर चलवाकर अवैध निर्माण ध्वस्त कर दिए.
भूपेंद्र सिंह ने खुलेआम माफियाओं को चेतावनी दी थी कि अगर किसी ने सरकारी जमीन पर कब्जा किया या अवैध संपत्तियां खड़ी कीं, तो उन्हें छोड़ा नहीं जाएगा. इसी वजह से उन्हें ‘बुलडोजर मंत्री’ की उपाधि मिल गई और वो पूरे प्रदेश में सख्त एक्शन वाले नेता के रूप में चर्चित हो गए.
कैसे शुरू हुआ था अभियान?
मध्य प्रदेश में बुलडोजर का ये अभियान 2021 के आसपास तेजी से शुरू हुआ था. इसका मुख्य उद्देश्य था. माफिया राज खत्म करना और शहरों को अवैध कब्जों से मुक्त करना. खास बात ये थी कि यह कार्रवाई सिर्फ कमजोर वर्ग पर नहीं, बल्कि रसूखदार और प्रभावशाली लोगों पर भी की गई, जिससे सरकार की छवि और मजबूत बनी.
लोगों को पहली बार लगा कि प्रशासन सच में कार्रवाई कर रहा है और नियम सबके लिए बराबर हैं. इसके बाद से कई शहरों में अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया गया और हजारों करोड़ की जमीन को सरकारी रिकॉर्ड में वापस दर्ज किया गया.
नतीजा क्या हुआ?
एमपी में बुलडोजर अभियान ने माफियाओं और अतिक्रमण करने वालों के बीच डर पैदा किया. वहीं आम जनता को यह भरोसा मिला कि कानून सब पर समान रूप से लागू होता है. आज भले ही बुलडोजर की पहचान यूपी से जुड़ गई हो, लेकिन इसकी शुरुआत का श्रेय मध्य प्रदेश को और ‘बुलडोजर मंत्री’ भूपेंद्र सिंह को जरूर जाता है.