बाजार से खरीदिए दवा, जयारोग्य अस्पताल के पास नहीं बजट

स्वतंत्र समय, ग्वालियर

दवा के लिए अंचल के सबसे बड़े अस्पताल जयारोग्य के भरोसे कतई न रहें, क्योंकि अस्पताल को पिछले पांच माह से बजट की फूटी कौड़ी नहीं मिली है। धन के अभाव में दवाओं के लाले पड़े हैं। बावजूद जिम्मेदार दावा करते हैं कि दवाओं की कमी नही हैं। उनके दावे की हकीकत इस बात से लगा सकते हैं कि मरीजों को काटन से लेकर एंटीबायोटिक दवा बाजार से खरीदनी पड़ती है। हालात यह होते जा रहे हैं कि जिन दवाओं का स्टाक बचा है वह भी खत्म होने की कगार पर है।
368 प्रकार की दवाओं में से 50 से 60 प्रकार की दवाएं खत्म हो चुकी हैं। इससे मरीजों को बाजार से महंगी दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं। सबसे ज्यादा परेशानी ओपीडी में आने वाले मरीजों को हो रही है। उन्हें ज्यादातर दवाएं बाहर से खरीदने के लिए कहा जा रहा है। प्रबंधन जल्द ही समस्या खत्म होने की बात कह रहा है, लेकिन तब तक मरीजों को बाहर से दवाएं खरीदनी ही पड़ेंगी। अब वार्डों में भर्ती सामान्य मरीजों को भी दवा के लाले पडऩे लगे हैं। किडनी, लीवर रोग से संबंधित दवा तक खत्म हो चुकी हैं। सेंट्रल मेडिसिन स्टोर से एलपी कर दवाई मंगाई जा रही हैं, लेकिन जितनी जरूरत है उतनी खरीदी नहीं हो पा रही है, क्योंकि इसकी भी लिमिट तय है। अंचल के सबसे बड़े अस्पताल जयारोग्य में ओपीडी से लेकर भर्ती मरीजों के लिए दवा और सर्जीकल सामान खरीदने के लिए हर माह करीब एक करोड़ रुपये की जरूरत होती है। लेकिन अगस्त माह से चिकित्सा शिक्षा विभाग ने बजट जारी नहीं किया। ऐसे में दवा की किल्लत होने लगी। पिछले पांच माह से जहां अस्पताल प्रबंधन दवा होने का दावा करता रहा, वहीं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने बजट जारी करने में कंजूसी बरती। इसका खामियाजा जयारोग्य अस्पताल के मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। दवा के लिए हर दिन ढाई लाख और माह में 75 लाख रुपये चाहिए। वहीं सर्जीकल सामान के लिए हर माह 25 से 30 लाख रुपये की आवश्यकता है।
मरीजों को दवाओं के लिए परेशानी उठाना पड़ रही हैं। प्रबंधन सब कुछ बेहतर होने की बात करते नहीं थक रहा, जबकि ओलोपोटाडाइन आई ड्राप, ओन्डेनसेट्रान सिरप, साल्बुटामोल इनहेलेशन इनहेलर, विटामिन-ई यूएसपी (400 एमजी) कैप्सूल, एटोरवास्टेटिन आइपी 20 मिलीग्राम टैबलेट, एजिथ्रोमाइसिन सिरप, ओमेप्राजोल कैप्सूल, थायरोक्सिन सोडियम टैबलेट सहित 50 से 60 दवाएं नहीं मिल पा रही हैं। वहीं भर्ती मरीजों को लिवर, एंटीबायोटिक, दिल, जीवन रक्षक, उल्टी तक की दवाएं नहीं मिल पा रही है ।