5 अगस्त 2024 को बांग्लादेश में हुए तख्तापलट के बाद, तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को जान का खतरा महसूस हुआ और उन्होंने भारत में शरण ली। तब से शेख हसीना भारत में रह रही हैं। अब बांग्लादेश की अंतरिम यूनुस सरकार ने भारत को डिप्लोमेटिक नोट भेजकर शेख हसीना को वापस लौटाने की औपचारिक मांग की है।
यूनुस सरकार के गंभीर आरोप
यूनुस सरकार ने शेख हसीना पर हत्या, अपहरण और देशद्रोह जैसे गंभीर आरोपों में 225 से अधिक मामले दर्ज किए हैं। उनका कहना है कि हसीना की भारत में उपस्थिति और उनके बयानों से दोनों देशों के बीच रिश्तों में खटास आ सकती है।
भारत-बांग्लादेश प्रत्यर्पण समझौता
भारत और बांग्लादेश के बीच 2013 में प्रत्यर्पण समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसे 2016 में संशोधित किया गया। यह समझौता दोनों देशों की साझा सीमाओं पर उग्रवाद और आतंकवाद से निपटने के लिए बनाया गया था।
2013 में क्यों हुई थी यह संधि?
- भारत के पूर्वोत्तर उग्रवादी समूह बांग्लादेश में शरण ले रहे थे।
- बांग्लादेश के प्रतिबंधित जमात उल मुजाहिदीन के सदस्य भारत में छिप रहे थे।
इन समस्याओं से निपटने के लिए दोनों देशों ने प्रत्यर्पण प्रक्रिया को व्यवस्थित करने के उद्देश्य से इस समझौते को लागू किया।
2016 में संशोधन और उसके प्रावधान
2016 में समझौते में संशोधन किया गया, जिसके अनुसार:
- प्रत्यर्पण की मांग करने वाले देश को अपराध के सबूत पेश करने की आवश्यकता नहीं है।
- कोर्ट से जारी वारंट प्रत्यर्पण के लिए पर्याप्त है।
यह संशोधन शेख हसीना के मामले में भारत की स्थिति को और पेचीदा बना सकता है।
भारत के लिए विकल्प: प्रत्यर्पण से इनकार या सहमति?
भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण समझौते के अनुच्छेद 8 के तहत प्रत्यर्पण से इनकार के लिए कई प्रावधान हैं:
- पर्याप्त सबूतों की कमी: यदि आरोप सिद्ध करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं।
- सैन्य अपराध: यदि आरोप सैन्य अपराध से जुड़े हैं, जो सामान्य आपराधिक कानून के तहत नहीं आते।
- राजनीतिक उत्पीड़न: यदि यह माना जाए कि आरोप राजनीति से प्रेरित हैं।
भारत के लिए संभावित परिणाम
- प्रत्यर्पण: यदि भारत हसीना को बांग्लादेश को सौंपता है, तो इससे नई दिल्ली और ढाका की नई सरकार के बीच संबंध मजबूत हो सकते हैं।
- प्रत्यर्पण से इनकार: यदि भारत यह कहकर प्रत्यर्पण से इनकार करता है कि हसीना पर आरोप बेबुनियाद हैं, तो बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के साथ रिश्ते बिगड़ सकते हैं।
राजनयिक और राजनीतिक प्रभाव
भारत को इस मामले में कूटनीतिक संतुलन साधने की जरूरत है।
- शेख हसीना का प्रत्यर्पण बांग्लादेश के अंदर भारत के समर्थकों और विरोधियों के बीच विभाजन पैदा कर सकता है।
- इनकार करने से भारत और बांग्लादेश की मौजूदा अंतरिम सरकार के संबंध खराब हो सकते हैं।