विभागीय डायरेक्टर के पदों पर IAS अफसरों का कब्जा

सीताराम ठाकुर, भोपाल

एमपी में एक समय इंजीनियरिंग और कृषि-उद्यानिकी से संस्थानों में विभागीय अधिकारी ही संचालक बनाए जाते रहे हैं, लेकिन धीरे-धीरे सरकार ने इन पदों पर आईएफएस ( IAS )-आईएएस अधिकारियों को कमान देना शुरू कर दिया।

जल संसाधन में ईएनसी के पद पर भी IAS

अब अधिकांश विभागीय संचालक के पदों पर आईएएस ( IAS ) अफसरों ने कब्जा कर लिया है। यहां तक जल संसाधन में ईएनसी के पद पर भी आईएएस अधिकारी को बैठा दिया है, जिससे व्यवस्था लडख़ड़ाने की आशंका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में मप्र के दौरे पर 25 दिसंबर को खजुराहो आए थे। खजुराहो में मोदी ने केन-बेतवा लिंक परियोजना की आधारशिला रखी। हाईकोर्ट के आदेश के चलते जल संसाधन विभाग के प्रभारी ईएनसी शिरीष मिश्रा को हटाकर आईएएस अधिकारी एवं जल संसाधन विभाग के सचिव जॉन किग्ंसली को प्रधानमंत्री की यात्रा के चलते एक दिन के लिए विभाग का ईएनसी बनाया था, लेकिन अब उन्हें परमानेंट ईएनसी की जिम्मेदारी सौंप दी गई है। इसके पहले वे एनवीडीए के सचिव की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। जल संसाधन विभाग में तत्कालीन समय में प्रमुख सचिव और एसीएस रहे राधेश्याम जुलानिया के समय विभागीय स्तर पर आखिरी सचिव तिलकराज कपूर हुआ करते थे। इसके बाद से इस पद पर आईएएस अधिकारी अपर सचिव और उप सचिव के रूप में काम करने लगे हैं। यानि संवर्ग में स्वीकृत ईएनसी के पदों में से एक अधिकारी को विभाग का सचिव बनाया जाता रहा है। लेकिन अब इस पद पर आईएएस का कब्जा हो गया है।

विभागीय अधिकारी के पास रहा कृषि संचालक का पद…

मप्र में कृषि संचालक का पद विभागीय अधिकारी के पास सालों से रहा है। विभाग में आखिरी संचालक डॉ. जीएस कौशल थे। इसके बाद सरकार ने संचालक की जिम्मेदारी आईएएस अधिकारियों को देना प्रारंभ कर दी। पहले संचालक आईएएस मोहन मीना रहे, इसके बाद प्रीती मैथिल और अब अजय गुप्ता संचालक बने हुए हैं। यहीं स्थिति संचालक उद्यानिकी की है। यहां विभागीय स्तर के आखिरी संचालक वीवी पांडे थे। इसके बाद सरकार ने आईएफएस अधिकारियों को संचालक बनाना शुरू कर दिया। उद्यानिकी के आखिरी आईएफएस संचालक एम कालीदुर्रई थे। इसके बाद आईएएस निधि निवेदिता और वर्तमान में सरकार ने प्रीती मैथिल को संचालक उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण बनाया है।

सीटीई में भी इंजीनियर नहीं… नाम भी बदला

राज्य सरकार ने निर्माण कार्यों में होने वाली गड़बडिय़ों की जांच के लिए 1980 में मुख्य तकनीकी परीक्षक (सीटीई)का गठन किया था। इसमें ईएनसी अथवा चीफ इंजीनियर स्तर का अधिकारी सीटीई हुआ करता था। आखिरी सीटीई सीपी अग्रवाल थे। उसके पहले एनके कश्यप रहे। लेकिन सरकार ने इसका नाम बदलकर गुणवत्ता परिषद कर दिया और पूर्व आईएएस अशोक शाह को इसकी कमान सौंप दी। इसके बाद सीटीई पूरी तरह बर्बाद हो गया। अब निर्माण कार्यों की जांच के लिए इंजीनियर तक नही हैं। यहीं स्थित मप्र प्रदूषण मंडल की है। यहां सदस्य सचिव और चेयरमैन का पद वैज्ञानिक अथवा विशेषज्ञ के लिए निर्धारित है, लेकिन 9 साल से चेयरमैन सहित सदस्य सचिव के पद पर आईएएस अफसरों का कब्जा है। जिसके चलते प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है।

जनसंपर्क के संचालक का पद भी छीना

सरकार ने जनंसपर्क विभाग में भी विभागीय संचालक का पद छीनकर आईएएस अधिकारियों को दे दिया है। विभागीय में आखिरी विभागीय संचालक अनिल माथुर हुआ करते थे। इसके पहले लाजपत आहुजा आदि भी संचालक रहे हैं, लेकिन शिवराज सरकार में ही आईपीएस आशुतोष प्रताप सिंह को संचालक बनाया। फिर ओपी श्रीवास्तव बनाए गए। दोबारा आशुतोष प्रताप को बनाया। बीच में रौशन सिंह और अब अंशुल गुप्ता संचाल के पद पर पदस्थ हैं। उधर, पीडब्ल्यूडी में भी सचिव का पद संवर्ग में ईएनसी के समकक्ष था। यहां पर आखिरी ईएनसी रहे आरके मेहरा को सचिव बनाया गया, लेकिन अब उप सचिव एआर सिंह सचिव का काम संभाल रहे हैं और आईएएस नियाज खान भी कार्यरत है।