Career की डगर, छात्र अपने टैलेंट को पहचाने


लेखक
रवि लोहिया
(एस्ट्रोलॉजर, काउंसलर)

करियर को लेकर छात्रों में उलझन होना आम बात है, इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि बहुत से छात्र अपने टैलेंट को पहचाने बिना ही किसी भी फील्ड में काम करने का सोच लेते हैं। किसी भी फील्ड मे जाने से पहले यह जान लेना जरुरी है कि संबंधित क्षेत्र मे रूचि होने के साथ साथ मानसिक सक्षमता, द्रढ़ता एवं एकजुटता जरुरी है लक्ष्य प्राप्ति के लिए। सिर्फ दस प्रतिशत छात्रो को यह मालूम होता है कि उन्हे इंजीनियरिंग करना है या फिर मेडिकल, लॉ, मीडिया इत्यादि कोर्स करना है और अपने लक्ष्य को पाने के लिए वे मानसिक रूप से तैयार रहते है।

अधिकतर विद्यार्थी Career की दौड़ में डिप्रेशन का शिकार होते हैं

अधिकतर छात्र करियर ( Career ) अज्ञानता में, अपने आसपास के लोगों को देखकर, उनकी बातें सुनकर विषय चुन लेते है खासकर छोटे शहर, कस्बे से आने वाले विद्यार्थी। बगैर स्वयं को जाने पहचाने कि वो किस कार्य के लिए बने है ऐसे विद्यार्थी अंधी दौड़ का हिस्सा बनकर डिप्रेशन का शिकार होते हैं, और उन्हे लगने लगता है कि वो जीवन में कुछ पा नहीं सकते, अपने सहपाठियों से तुलना करने लगते हैं, खुद को असफल मानकर घोर निराशा मे जाकर गलत कार्य करने तक का सोच लेते हैं और यही सच्चाई है आज की कोचिंग संस्थानों मे पड़ने वाले विद्यार्थियों की क्योंकि कोचिंग संस्थाएं भी कोई कसर नहीं छोड़ती है यह अहसास दिलाने के लिए कि आप जीवन में कुछ करने के योग्य हो नहीं। ऐसे छात्र जो मानसिक जद्दोजहद मे उलझने लगते है वे शांत मन से यह सोचे कि असफल हो जाने का मतलब अंत नहीं है बल्कि, एक नई शुरुवात है एक नया मुकाम हासिल करने के लिए। तमाम उलझनों को दूर करने के लिए करियर कॉउंसलर से मिलना बेहतर रहता है, करियर काउंसलर एक विशेषज्ञ होता है जो प्रश्नावली के माध्यम से, साइकोलॉजी के ज्ञान से आपके भीतर के टैलेंट को पहचाने का कार्य करता है, आपकी परेशानी दूर करता है और ये भी बताता है कि कौनसी फील्ड आपके लिए बेहतर है ।
( लेखक के ये स्वतंत्र विचार हैं )