एक विभाग गड्ढा करे दूसरा विभाग बनी सड़क उखाड़े, ऐसी गैर नियोजित दास्तान पर भी क्यों बजते हैं विकास के नगाड़े…
राजनीति का अध्याय है जिस सीढ़ी से चढो उसको खींच लो ताकि उस्ताद नहीं चढ़ पाए…जनलोकपाल की पैरवी करने वाले अण्णा भी केजरी के माथे की ये थ्योरी नहीं पढ़ पाए…