उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जीवन पर आधारित फिल्म Ajey: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ अ योगी की रिलीज को लेकर चल रहा विवाद अब बॉम्बे हाई कोर्ट तक पहुंच गया है। फिल्म के निर्माताओं ने सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) पर प्रमाणन प्रक्रिया में देरी का आरोप लगाते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। 17 जुलाई 2025 को हुई सुनवाई में बॉम्बे हाई कोर्ट ने सीबीएफसी को सख्त निर्देश दिए हैं कि वह दो कार्य दिवसों के भीतर फिल्म के प्रमाणन पर अंतिम फैसला ले।
Ajey: फिल्म और विवाद की पृष्ठभूमि
यह फिल्म शांतनु गुप्ता की पुस्तक द मॉन्क हू बिकेम चीफ मिनिस्टर से प्रेरित है, जो योगी आदित्यनाथ के जीवन और उनके राजनीतिक सफर को दर्शाती है। फिल्म को 1 अगस्त 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज करने की योजना है। निर्माता सम्राट सिनेमैटिक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने जून 2025 की शुरुआत में फिल्म, इसके टीजर, ट्रेलर और प्रोमोशनल गाने के लिए प्रमाणन आवेदन जमा किए थे। हालांकि, निर्माताओं का आरोप है कि सीबीएफसी ने सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 और सिनेमैटोग्राफ (प्रमाणन) नियम, 2024 के तहत निर्धारित समय-सीमा का पालन नहीं किया और आवेदनों पर कोई कार्रवाई नहीं की।
निर्माताओं ने यह भी दावा किया कि सीबीएफसी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) लाने की मांग की, जो उनके अनुसार “अनुचित, अवैध और बिना आधार” है। निर्माताओं का कहना है कि यह मांग केवल फिल्म की रिलीज में देरी करने का एक तरीका है, जो उनके व्यावसायिक हितों को नुकसान पहुंचा सकता है।
Ajey: बॉम्बे हाई कोर्ट की सुनवाई और आदेश
17 जुलाई 2025 को जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस नीला गोखले की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने सीबीएफसी के रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा कि बोर्ड को कानून द्वारा निर्धारित समय-सीमा के भीतर प्रमाणन प्रक्रिया पूरी करनी होगी और वह अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता। कोर्ट ने सीबीएफसी को निर्देश दिया कि वह फिल्म की स्क्रीनिंग कर दो कार्य दिवसों के भीतर प्रमाणन पर फैसला सुनाए। इस आदेश के साथ ही कोर्ट ने निर्माताओं की याचिका का निपटारा कर दिया।