प्रदेश में जनगणना की तैयारियां शुरू हो गई है। वर्ष 2027 में दो चरणों में जनगणना आयोजित की जाएगी। पहले चरण में मकान सूचीकरण और मकानों की गणना अप्रैल से सितंबर 2026 तक होगी, जबकि दूसरे चरण में जनसंख्या की गणना 9 से 28 फरवरी 2027 तक की जाएगी। जनगणना की संदर्भ तिथि 1 मार्च 2027 की रात 12 बजे होगी
30 दिन में पुरी करना होगी गणना
जनगणना 2027 का कार्य दो चरणों में किया जाएगा। प्रथम चरण के अंतर्गत मकान सूचीकरण एवं मकानों की गणना का कार्य अप्रैल से सितंबर 2026 के मध्य, राज्य शासन द्वारा निर्धारित 30 दिनों की अवधि में संपन्न किया जाएगा। द्वितीय चरण के तहत जनसंख्या की गणना का कार्य नौ से 28 फरवरी 2027 की अवधि में किया जाएगा।
जनगणना समन्वय समिति का गठन
मध्यप्रदेश शासन ने मुख्य सचिव अनुराग जैन की अध्यक्षता में जनगणना 2027 के लिए राज्य स्तरीय जनगणना समन्वय समिति का गठन किया है। यह समिति प्रदेश में जनगणना के राष्ट्रीय महत्व के कार्य को सुचारू करते हुए सफल करेगी। इस कार्य में जनगणना कार्य निदेशालय एवं राज्य शासन के विभिन्न विभाग समन्वय करके कार्य करेंगे।
ये विभाग करेगे मिल कर कार्य
जनगणना कार्य में राज्य शासन के द्वारा गठित समिति में अपर मुख्य सचिव गृह, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, नगरीय विकास एवं आवास, सामान्य प्रशासन, योजना आर्थिक एवं सांख्यिकी, वित्त, प्रमुख सचिव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, जनजातीय कार्य, राजस्व, सचिव, स्कूल शिक्षा, जनसंपर्क, अपर सचिव गृह विभाग एवं नोडल अधिकारी निदेशक एनआईसी सदस्य होंगे। निदेशक, जनगणना कार्य निदेशालय मप्र भोपाल को संयोजक/सदस्य सचिव बनाया गया है। जिनके दिशा निर्देश पर कर्मचारी घर- घर पहुंच कर जनगणना करेंगे।
कर्मचारियों की तैनाती की तैयारियां
जनगणना समन्वय समिति दोनों चरणों में शासन के संबंधित विभागों के मध्य अपेक्षित सहयोग एवं समन्वय स्थापित करने का कार्य करेगी। समिति की बैठक में जनगणना कार्य के लिए लगाए जाने वाले कर्मचारियों की स्थिति देखी जाएंगी। जो जमीनी स्तर पर कार्य करेंगे। जनगणना के मास्टर ट्रेनर फील्ड ट्रेनर्स और फील्ड स्टाफ को पहले प्रशिक्षण देने का कार्य किया जाएंगा। 31 दिसंबर 2025 तक प्रशासनिक इकाइयों की सीमाओं के परिवर्तन संबंधी समस्त प्रस्तावों को अंतिम रूप दिया जाएंगा। इसके साथ ही कई बिंदुओं पर निर्णय लिया जाएगा। समिति का कार्यकाल 31 मार्च 2027 तक रहेगा।
जनता को स्व-गणना करने का विकल्प
जनगणना की पूरी तरह से डिजिटल प्रक्रिया होगी, जिसमें प्रगणक मोबाइल पर डाटा एकत्र करेंगे और जनता को स्व-गणना करने का विकल्प भी दिया जाएगा। जनगणना के समस्त फील्ड कार्य की सतत निगरानी के लिए भारत के महारजिस्ट्रार कार्यालय द्वारा एक वेब पोर्टल सीएमएमएस विकसित किया गया है।