स्वतंत्र समय, नई दिल्ली
आम बजट में केंद्र सरकार कुछ सरकारी कंपनियों ( Government Companies ) में अपनी हिस्सेदारी बेच सकती है। एक वरिष्ठ अफसर के अनुसार, सरकार चालू वित्त वर्ष में ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) के जरिए मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड सहित रेल, फर्टिलाइजर और डिफेंस सेक्टर्स की चुनिंदा सरकारी कंपनियों में छोटी हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रही है। सरकार करीब 11. 36 प्रतिशत अपनी हिस्सेदारी बेचने की तैयार में लगी है।
Government Companies ने निवेशकों का पैसा दोगुना कर दिया था
मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि केंद्र सरकार वित्त वर्ष 2025 में इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉरपोरेशन (आईआरएफसी), नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (एनएफएल) और राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (आरसीएफ) में स्मॉल स्टेक बेचने पर भी विचार कर रही है। खास बात है कि इन सरकारी कंपनियों ( Government Companies ) के शेयरों ने पिछले एक साल में निवेशकों का पैसा दोगुना कर दिया था। अधिकारी ने कहा, केंद्र सरकार इस बजट में ओएफसी (ऑफर फॉर सेल) पर ध्यान केंद्रित करना जारी रख सकती है। इसके तहत स्ट्रैटेजिक सेल्स विभिन्न चरणों में होगा। कुछ ओएफएस इस साल होंगे। इनमें आईआरएफसी ओएफसी शामिल होगा।
रेलवे की हिस्सेदारी इसी साल बेची जाएगी
सरकार इस साल ओएफएस के जरिए एनएफएल और आरसीएफ में भी हिस्सेदारी बेचेगी। मझगांव डॉक में ओएफएस के लिए पिछले साल से डिफेंस मिनिस्ट्री के साथ चर्चा चल रही है। मंत्रालय को एमडीएल में ओएफएस के खिलाफ कुछ आपत्तियां हैं, जिनका समाधान निकाला जा रहा है. उन्होंने कहा कि विनिवेश के मुद्दे पर बजट पूर्व बैठकें जल्द होने की संभावना है. सरकार आईआरएफसी में 11.36 प्रतिशत हिस्सेदारी कम करने का फैसला कर सकती है, जिससे सरकार को लगभग 7,600 करोड़ रुपए मिलेंगे। सरकार के पास वर्तमान में भारतीय रेलवे की वित्तपोषण शाखा में 86.36 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
इन शेयरों में मिला दोगुना से ज्यादा रिटर्न
केंद्र सरकार जिन कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रही है, उनमें से ज्यादातर कंपनियों के शेयरों ने निवेशकों का पैसा दोगुना से ज्यादा कर दिया है। मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड के शेयर ने एक साल में 245 फीसदी, आईआरएफसी के शेयरों ने 400 फीसदी और आरसीएफ ने 74 फीसदी से ज्यादा रिटर्न दिया है। आईआरएफसी में 11.36 प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री का मकसद विशेष रूप से सेबी की मिनिमम पब्लिक शेयर होल्डिंग पैटर्न की आवश्यकता को पूरा करना है। जिसमें लिस्टेड कंपनियों के पास कम से कम 25 प्रतिशत पब्लिक ऑनरशिप हो। मार्केट में अनुशासन और निवेशकों की बेहतर भागीदारी के लिए इन मानदंडों का अनुपालन महत्वपूर्ण है।