केंद्र द्वारा कृषि शिक्षा में सुधार हेतु राज्यों को कड़ा पत्र, अनुशासनहीनता पर पुनर्विचार आवश्यक

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के सचिव एवं महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक द्वारा राज्यों के मुख्य सचिवों को भेजे गए पत्र ने राज्यों की कृषि शिक्षा नीति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस पत्र में ICAR ने स्पष्ट किया है कि राज्यों द्वारा कृषि विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की स्थापना में बेतरतीब विस्तार एवं योजनाओं की कमी के कारण कृषि शिक्षा की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि राज्य सरकारों द्वारा नए कृषि विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की स्थापना में ICAR की सलाह और सहमति के बिना कार्य किया जा रहा है, जो कि शिक्षा के क्षेत्र में गंभीर अनुशासनहीनता को दर्शाता है। इस अनुशासनहीनता से कृषि शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है, और इसका दुष्परिणाम देश के भविष्य के किसानों और कृषि वैज्ञानिकों पर पड़ सकता है।

ICAR ने इस बात पर जोर दिया है कि कृषि शिक्षा का उद्देश्य केवल किताबी ज्ञान देना नहीं है, बल्कि इसमें प्रैक्टिकल अनुभव और आधुनिक तकनीकों की जानकारी भी शामिल है। इसके बिना छात्रों का विकास अधूरा रहेगा, जो कि देश की कृषि क्षेत्र की प्रगति के लिए घातक साबित हो सकता है।

ICAR के सचिव डॉ. हिमांशु पाठक द्वारा राज्यों के मुख्य सचिवों को सलाह दी गई है कि वे कृषि विश्वविद्यालयों की स्थापना में सावधानी बरतें और ICAR की सलाह और सहमति के बिना कोई भी निर्णय न लें। उन्होंने कहा कि कृषि शिक्षा को पारंपरिक और विशेषज्ञता वाले कॉलेजों तक सीमित रखना ही सही दिशा में कदम होगा।

यह पत्र राज्य सरकारों को यह स्पष्ट संकेत देता है कि कृषि शिक्षा को गुणवत्ता और विशेषज्ञता के आधार पर ही संचालित किया जाना चाहिए, अन्यथा इसका असर छात्रों के भविष्य पर पड़ सकता है। केंद्र सरकार ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाया है, जिससे राज्यों को अपने निर्णयों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।

केंद्र सरकार ने यह भी संकेत दिया है कि कृषि शिक्षा में सुधार के लिए सभी राज्य सरकारों को ICAR की सिफारिशों का पालन करना चाहिए और नई कृषि विश्वविद्यालयों की स्थापना से पहले ICAR की सलाह और सहमति प्राप्त करनी चाहिए। एग्री अंकुरण वेलफेयर असोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राधे जाट ने उपरोक्त पत्र का स्वागत किया है उन्होंने कहा की राज्य सरकारे लगातार कृषि शिक्षा की गुणवत्ता से छेड़खानी कर रही थी, केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय द्वारा राज्यों की मनमानी पर रोक से कृषि शिक्षा के पतन पर रोक लगेगी एवं जो वास्तविक कृषि शिक्षा है जोकि ICAR द्वारा संचालित है को बढावा मिलेगा.