स्वतंत्र समय, भोपाल/इंदौर
प्रवर्तन निदेशालय ( ED ) ने सोमवार को इंदौर, भोपाल, रीवा और मंदसौर में शराब कारोबारियों के ठिकानों पर छापे मारे हैं। सबसे बड़ी कार्रवाई इंदौर में की। वहां अलग-अलग शराब कारोबारियों के 18 ठिकानों पर दबिश दी गई है। यह मामला 72 करोड़ के फर्जी चालान लगाकर शराब गोदाम और ठेके लेने से जुड़ा है। डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा ने बजट सत्र के दौरान कहा था कि सभी दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी, लेकिन बाद में दोषी अधिकारियों को क्रीम पोस्ट पर पदस्थ कर दिया गया।
ED ने नहीं दी कोई जानकारी
भोपाल में एक बड़े कारोबारी के यहां सर्चिंग चल रही है। जबलपुर और मंदसौर में भी शराब व्यापारियों के ठिकानों पर जांच की जा रही है। अभी तक इस मामले में ईडी ( ED ) की ओर से अधिकृत तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। प्रारंभिक तौर पर भोपाल में आबकारी उडऩदस्ते में पदस्थ उपायुक्त आलोक खरे के ठिकानों पर छापे की जानकारी सामने आई थी। बाद में ईडी के सूत्रों ने साफ किया कि खरे के घर-दफ्तर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इंदौर में शराब ठेकेदार अविनाश और विजय श्रीवास्तव, राकेश जायसवाल, योगेंद्र जायसवाल, राहुल चौकसे, सूर्यप्रकाश अरोरा, गोपाल शिवहरे, लवकुश और प्रदीप जायसवाल के ठिकानों पर छापे पड़े हैं। बसंत बिहार कॉलोनी, तुलसी नगर और महालक्ष्मी नगर में ईडी की टीमें पहुंची हैं।
194 चालानों के माध्यम से की गड़बड़ी
दरअसल, इंदौर जिला आबकारी अधिकारी कार्यालय में वर्ष 2015 से 2018 के बीच सरकारी गोदाम से शराब लेने के लिए इस्तेमाल 194 बैंक चालानों में गड़बड़ी सामने आई थी। हजारों के बैंक चालानों को लाखों का बनाकर गोदामों से उतनी ही शराब उठाई गई। फिर इसे ठेकेदारों ने अपनी सरकारी शराब दुकान से बेचा। शिकायत मिलने पर ईडी ने 2024 में जांच शुरू की थी। ईडी ने शराब ठेकेदारों के खिलाफ दर्ज एफआईआर के आधार पर मामले की जांच शुरू की है। इसमें ट्रेजरी चालान में जालसाजी और हेराफेरी करके सरकार को 49 करोड़ से ज्यादा का राजस्व नुकसान पहुंचाने और वित्त वर्ष 2015-16 से 2017-18 तक शराब अधिग्रहण के लिए अवैध रूप से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) हासिल करने का आरोप है। सरों की
मिलीभगत से हुआ घोटाला
जांच में पता चला था कि आरोपी शराब ठेकेदार छोटी-छोटी रकम के चालान तैयार कर बैंक में जमा करते थे। चालान के निर्धारित प्रारूप में ‘रुपए अंकों में’ और ‘रुपए शब्दों में’ लिखे होते थे। मूल्य अंकों में भरा जाता था जबकि रुपए शब्दों में के बाद खाली जगह छोड़ दी जाती थी। रकम जमा करने के बाद जमाकर्ता इस खाली जगह में बढ़ी हुई राशि को लाख के रूप में लिख देता था। ऐसी बढ़ी हुई रकम के चालान की कॉपियां जिला आबकारी कार्यालय में जमा कर दी जाती थी। उधर, मंदसौर में ईडी की टीम जनता कॉलोनी स्थित शराब कारोबारी बंटी त्रिवेदी के मकान पर पहुंची है। 7 सदस्यीय टीम घर के अंदर सर्चिंग कर रही है। मौके पर सीआरपीएफ के पुलिस जवान तैनात हैं।
पीएमओ से हुई थी घोटाले की शिकायत
तत्कालीन सहायक आबकारी आयुक्त संजीव दुबे ने अपनी इंदौर में पदस्थापना के दौरान 8 शराब कारोबारियों के साथ मिलीभगत कर फर्जी और कूटरचित चालानों के माध्यम से 72 करोड़ का घोटाला कर सरकार को राजस्व नुकसान पहुंचाया था। जबकि इस मामले की शिकायत ईओडब्ल्यू और लोकायुक्त में भी की गई थी। विभाग ने इस की जांच के लिए पूर्व आईएएस स्रेहलता श्रीवास्तव के नेतृत्व में जांच कमेटी बनाई थी, जिन्होंने अपनी रिपोर्ट में अधिकारियों को दोषी पाया था, लेकिन इसके बावजूद दोषी अधिकारियों की पोस्टिंग क्रीम पोस्ट पर करने की वजह से पीएमओ में आरटीआई कार्यकर्ता ने शिकायत पीएमओ से की थी।
कांग्रेस ने कार्यप्रणाली पर उठाया सवाल
मप्र कांग्रेस कमेटी ने शराब कारोबारियों के ठिकानों पर ईडी की कार्यवाही के बाद सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं। पार्टी ने कहा- इंदौर के फर्जी चालान कांड का मुख्य आरोपी एवं सरगना तत्कालीन आबकारी अधिकारी संजीव दुबे है। लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू में कई शिकायतों और 10 साल से चल रही जांच के बाद भी भ्रष्ट अधिकारी को मुख्यमंत्री ने जबलपुर में पदस्थ क्यों किया?