Chandrayaan5 Update: अंतरिक्ष में एक बार फिर इतिहास रचेगा ISRO, चंद्रयान-5 मिशन को केंद्र सरकार की मंजूरी, जानिए क्यों खास है ये प्रोजेक्ट

Chandrayaan5 Update: भारत सरकार ने अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि की ओर कदम बढ़ाते हुए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-5 को मंजूरी दे दी है। इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि इस मिशन के तहत चंद्रमा की सतह का गहन अध्ययन किया जाएगा, जिसके लिए लगभग 250 किलोग्राम वजनी एक अत्याधुनिक रोवर भेजा जाएगा। खास बात यह है कि इस बार भारत को जापान का तकनीकी सहयोग भी प्राप्त होगा, जिससे इस अभियान की सफलता की संभावना और भी प्रबल हो गई है। यह मिशन न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अहम है, बल्कि भारत की वैश्विक अंतरिक्ष शक्ति के रूप में पहचान को भी और मजबूत करेगा।

चंद्रयान-4 की लॉन्चिंग कब होगी?

इसरो अध्यक्ष द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, चंद्रयान-4 मिशन को वर्ष 2027 में लॉन्च करने की योजना है। यह मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक बड़ा कदम साबित होगा, क्योंकि इसका मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह से नमूने एकत्र कर उन्हें धरती पर वापस लाना है। इससे पहले भारत ने चंद्रयान-3 मिशन को 23 अगस्त 2023 को सफलतापूर्वक अंजाम दिया था, जिसमें लैंडर विक्रम ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की थी और रोवर प्रज्ञान ने करीब 25 किलोग्राम वजनी होकर चंद्रमा की सतह से महत्वपूर्ण वैज्ञानिक डेटा जुटाया था। चंद्रयान-4 की सफलता भारत को चंद्र मिशनों की अगली पीढ़ी में अग्रणी बना सकती है।

चंद्रयान-5 मिशन की विशेषताएँ

Chandrayaan-5 मिशन भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान की दिशा में एक और बड़ी उपलब्धि साबित होने जा रहा है। हाल ही में केंद्र सरकार ने इस महत्वाकांक्षी मिशन को स्वीकृति दी है। इस बार भारत जापान के सहयोग से इस मिशन को अंजाम देगा, जिससे इसकी तकनीकी मजबूती और सफलता की संभावना और भी बढ़ गई है। चंद्रयान-5 के तहत लगभग 250 किलोग्राम वजनी रोवर को चंद्रमा की सतह पर भेजा जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह का गहन वैज्ञानिक अध्ययन करना और नई जानकारियाँ जुटाना होगा। जहाँ चंद्रयान-4 का लक्ष्य चंद्रमा से नमूने लाकर पृथ्वी पर उनका विश्लेषण करना है, वहीं चंद्रयान-5 पूरी तरह से अनुसंधान आधारित मिशन होगा, जो चंद्रमा के भूगोल, संरचना और खनिजों की विस्तृत जांच करेगा।

भारत के चंद्रयान मिशन की यात्रा

• चंद्रयान-1 (2008): भारत का पहला चंद्र मिशन, जिसने चंद्रमा पर पानी की उपस्थिति की पुष्टि कर वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय को चौंका दिया। इस मिशन ने भारत को चंद्रमा पर पहुंचने वाले देशों की सूची में शामिल कर दिया।
• चंद्रयान-2 (2019): इस मिशन में ऑर्बिटर सफलतापूर्वक कार्यरत रहा और आज भी डेटा भेज रहा है। हालांकि, लैंडर ‘विक्रम’ चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर पाया।
• चंद्रयान-3 (2023): भारत का पहला सफल सॉफ्ट लैंडिंग मिशन। लैंडर ‘विक्रम’ ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की और ‘प्रज्ञान’ रोवर ने महत्वपूर्ण वैज्ञानिक डेटा एकत्र किया।
• चंद्रयान-4 (2027): प्रस्तावित मिशन का उद्देश्य चंद्रमा की सतह से नमूने एकत्र कर उन्हें पृथ्वी पर लाना है, जो भारत की तकनीकी क्षमता को एक नई ऊंचाई देगा।
• चंद्रयान-5 (निर्धारित तिथि जल्द घोषित होगी): जापान के सहयोग से विकसित यह शुद्ध अनुसंधान आधारित मिशन होगा, जिसमें 250 किलोग्राम वजनी रोवर चंद्रमा की सतह का गहन अध्ययन करेगा।

यह यात्रा भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की निरंतर प्रगति और वैश्विक स्तर पर इसकी मजबूत होती उपस्थिति का प्रतीक है।