माहेश्वरी समाज के विवाह परिचय सम्मेलन के दूसरे दिन मंच पर भावनाओं और विचारों का अनूठा संगम देखने को मिला। समाज के विवाह प्रकोष्ठ अध्यक्ष कमल नारायण भुराड़िया ने अपने संबोधन में कहा कि अगर हम अपनी सोच नहीं बदलेंगे, तो अच्छे रिश्ते पाना मुश्किल रहेगा।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि लड़कियों को छोटे शहरों और कस्बों में विवाह न करने की जिद छोड़नी होगी, तभी वे अपने लिए एक उत्तम जीवनसाथी और सुख-दुख में साथ देने वाला परिवार पा सकेंगी।
संवाद में झलकी नई पीढ़ी की सोच
- सम्मेलन के दौरान संस्था के सचिव कल्याणमल मंत्री और मीडिया प्रभारी राम मूंदड़ा ने बताया कि कार्यक्रम में उच्च शिक्षित युवक-युवतियों के लिए विशेष सत्र रखा गया, जहाँ दोनों पक्षों ने खुलकर अपने विचार रखे।
- युवतियों ने बताया कि वे स्वावलंबी और शिक्षित जीवन चाहती हैं, जबकि युवकों ने कहा कि उन्हें कर्मठ और समझदार जीवनसाथी की तलाश है।
- लड़कियों ने कहा कि वे केवल अपने परिवार ही नहीं, बल्कि ससुराल और पति के माता-पिता की भी जिम्मेदारी निभाने में विश्वास रखती हैं, बशर्ते जीवनसाथी भी घर की जिम्मेदारियों में बराबरी का हाथ बँटाए।
करियर अवसरों की कमी बनी बड़ी वजह
- कई युवतियों ने कहा कि छोटे शहरों और कस्बों में करियर विकल्पों की कमी के कारण वे वहाँ विवाह नहीं करना चाहतीं।
- हालांकि कुछ लड़कियाँ, जो खुद छोटे कस्बों की पृष्ठभूमि से थीं, उन्होंने कहा कि अगर घर-परिवार अच्छा हो और साथी समझदार हो, तो वे छोटे शहरों में भी रहने के लिए तैयार हैं।
- सभी ने इस बात पर सहमति जताई कि जीवनसाथी ऐसा होना चाहिए जो दोनों परिवारों के प्रति समान आदर और जिम्मेदारी रखे।
मंच पर खुलकर बोलीं युवतियाँ और युवक
दोपहर बाद सम्मेलन के मंच से परिचय सत्र की शुरुआत हुई, जिसमें युवतियों और युवकों ने बेबाकी से अपनी पहचान और पसंद-नापसंद के बारे में बताया। यह पहली बार था जब प्रतिभागियों ने बिना किसी झिझक के अपने विचार मंच पर रखे, जिससे पूरे आयोजन में पारदर्शिता और सहजता का माहौल बना रहा।
वरिष्ठ महिलाओं ने निभाई सेतु की भूमिका
- संस्था ने दो परिवारों के बीच संपर्क और समन्वय का कार्य समाज की वरिष्ठ महिलाओं को सौंपा था।
- हर 50 प्रत्याशियों पर 5 महिलाओं की टीम जिम्मेदार थी, जिससे परिचय और मिलान की प्रक्रिया सुव्यवस्थित और सहज रूप से पूरी हो सकी।
- इन महिलाओं ने न केवल समन्वय किया बल्कि भावी रिश्तों को समझने और जोड़ने में अहम भूमिका निभाई।
शरद पूर्णिमा पर रास उल्लास का आयोजन
- रात्रि 8 बजे से शुरू हुए रास उल्लास समारोह ने सम्मेलन की शाम को सांस्कृतिक रंगों से भर दिया।
- महिलाओं और युवतियों ने पारंपरिक रास-गरबा की मनमोहक प्रस्तुतियाँ दीं।
- शरद पूर्णिमा के इस अवसर पर बड़ी संख्या में प्रत्याशी, अभिभावक और समाजजन उपस्थित रहे और देर रात तक उत्सव का आनंद लिया।
140 रिश्ते आगे बढ़े, सोमवार को जारी रहेगा सम्मेलन
- मीडिया प्रभारी राम मूंदड़ा और स्वागत अध्यक्ष घनश्याम झंवर के अनुसार, सम्मेलन के दूसरे दिन तक लगभग 140 रिश्तों पर गंभीर चर्चा हुई और कई प्रस्ताव अंतिम चरण में पहुँच गए।
- सोमवार सुबह 9 बजे से अगली परिचय प्रक्रिया शुरू होगी, जिसमें अब तक के चर्चित और नए प्रतिभागियों के बीच बातचीत और मिलान की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।