छत्तीसगढ़ सरकार ने महादेव सट्टा ऐप का मामला सीबीआई को सौंपा है। महादेव सट्टा ऐप को लेकर कुल 70 केसेज दर्ज हैं। इन सारे प्रकरणों को सीबीआई को सौंपा गया है। इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया। डिप्टी सीएम और गृहमंत्री विजय शर्मा ने जानकारी दी है। राज्य में पांच साल बाद सीबीआई की एंट्री छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की सीजीपीएससी 2021 की भर्ती की जांच से हुई है। इसके अलावा बिरनपुर हिंसा मामले में भी सीबीआई पहले से ही जांच कर रही है। महादेव एप घोटाले की यह तीसरी सीबीआइ जांच होगी।
विशेषज्ञों के अनुसार, ऑनलाइन महादेव सट्टा ऐप एक ऐसा प्लेटफार्म है जो सट्टेबाजों को ऑनलाइन दांव लगाने की सुविधा प्रदान करता है। इस ऐप के जरिए उपयोगकर्ता विभिन्न प्रकार के लाइव गेमों में अवैध सट्टेबाजी कर सकते हैं, जिसमें क्रिकेट, बैडमिंटन, टेनिस, फुटबॉल, और अन्य खेल शामिल हैं। इसके अलावा, इस प्लेटफार्म पर तीन पत्ती, पोकर, और ड्रैगन टाइगर जैसे कार्ड गेम भी शामिल हैं, जिनका उपयोग करके सट्टेबाज वर्चुअल गेमों में दांव लगाते हैं। यह ऐप सट्टेबाजों को ऑनलाइन बुक पोकर और अन्य चांस गेम्स में भी भाग लेने का अवसर देता है। विभिन्न अवैध गतिविधियों के चलते यह ऐप कानून प्रवर्तन एजेंसियों की जांच के दायरे में आ गया है।
महादेव सट्टा एप मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अक्टूबर 2022 में कांग्रेस सरकार के दौरान शुरू की थी। इस मामले में पहली एफआईआर दुर्ग, रायपुर, और बिलासपुर पुलिस द्वारा दर्ज की गई थी, जिसके आधार पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज करके जांच को आगे बढ़ाया। जनवरी 2024 से रायपुर में अब तक 80 आरोपितों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि पूरे प्रदेश में यह आंकड़ा करीब 600 तक पहुंच गया है।
छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य राज्यों में भी पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज करके कार्रवाई की है। ईडी ने पहली गिरफ्तारी अगस्त 2023 में की थी, जिसमें चार लोगों की गिरफ्तारी के बाद इसे मनी लॉन्ड्रिंग से जोड़ा गया। अक्टूबर 2023 में ईडी ने इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी लोगों से पूछताछ शुरू की, जिसमें पूर्व सीएम के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा, ओएसडी मनीष बंछोर, और आशीष वर्मा शामिल थे। इस मामले में ईडी की जांच और पूछताछ का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है।