छत्तीसगढ़ सरकार ने संपत्ति खरीदी-बिक्री से जुड़े नियमों में बदलाव कर मध्यम वर्गीय परिवारों को राहत दी है। यह निर्णय खासतौर पर उन परिवारों के लिए फायदेमंद साबित होगा, जो बैंक लोन पर निर्भर हैं।
मुख्य प्रावधान
1.गाइडलाइन दर पर रजिस्ट्री शुल्क:
•अब संपत्ति की रजिस्ट्री गाइडलाइन दर के आधार पर होगी, भले ही सौदे की राशि गाइडलाइन से अधिक हो।
•उदाहरण: यदि संपत्ति की गाइडलाइन दर ₹10 लाख है, और वास्तविक सौदे की कीमत ₹15 लाख है, तो रजिस्ट्री शुल्क केवल ₹10 लाख के आधार पर लिया जाएगा।
•रजिस्ट्री शुल्क की दर 4% है, तो इस मामले में ₹40,000 देना होगा।
2.मध्यम वर्ग को लाभ:
•यह बदलाव विशेष रूप से उन परिवारों के लिए राहत लाएगा, जो संपत्ति खरीदने के लिए बैंक लोन पर निर्भर हैं।
•अब बैंक लोन गाइडलाइन दर के अनुरूप ही मिलेगा, जिससे वास्तविक कीमत पर ऋण प्राप्त करना आसान हो जाएगा।
प्रभाव
•रजिस्ट्री खर्च में कमी: यह कदम संपत्ति खरीदने में मध्यम वर्ग के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद साबित होगा।
•रियल एस्टेट में पारदर्शिता: इससे संपत्ति सौदों में गाइडलाइन दर का पालन बढ़ेगा और अनियमितताएं कम होंगी।
•बैंक लोन में आसानी: बैंक अब प्रॉपर्टी की गाइडलाइन दर पर ऋण प्रदान कर सकेंगे, जिससे मध्यम वर्गीय परिवारों को आसानी से फंड मिल सकेगा।
यह निर्णय संपत्ति बाजार को प्रोत्साहित करेगा और मध्यम वर्ग के लिए घर खरीदने का सपना साकार करना आसान बनाएगा।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है, जिसका लाभ उन नागरिकों को मिलेगा जो बैंक लोन लेकर संपत्ति खरीदते हैं। वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने बताया कि इस फैसले से संपत्ति के वास्तविक मूल्य के आधार पर अधिक बैंक लोन लेने में सहूलियत होगी।
यह कदम विशेष रूप से मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए फायदेमंद होगा, जो अक्सर संपत्ति खरीदने में वित्तीय चुनौतियों का सामना करते हैं। इसके अलावा, इस निर्णय से संपत्ति बाजार में पारदर्शिता और स्पष्टता को बढ़ावा मिलेगा और वास्तविक मूल्य दर्शाने की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित किया जाएगा। इससे न केवल संपत्ति बाजार में सुधार होगा, बल्कि नागरिकों के लिए लोन प्रक्रिया को भी सरल बनाया जाएगा।
मध्य प्रदेश में संपत्ति खरीदने और पंजीयन प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रावधान लागू किया गया है। देश के अन्य राज्यों में पंजीयन शुल्क जमीन की गाइडलाइन कीमत या सौदा मूल्य (जो अधिक हो) पर लगाया जाता है, लेकिन मध्य प्रदेश ने एक अलग दृष्टिकोण अपनाया है।
यहां गाइडलाइन कीमत से अधिक सौदा मूल्य दर्शाने पर पंजीयन शुल्क में छूट दी जाती है। इस छूट के कारण राज्य में वास्तविक सौदा मूल्य को रजिस्ट्री दस्तावेज़ों में लिखने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। यह कदम संपत्ति बाजार में पारदर्शिता को प्रोत्साहित करता है और सौदों में धोखाधड़ी या अघोषित राशि के चलन को कम करता है। इससे खरीदारों और विक्रेताओं को अपने सौदों को अधिक कानूनी और सुरक्षित बनाने का प्रोत्साहन मिलता है।
अब तक की प्रक्रिया
वर्तमान में, यदि किसी संपत्ति का गाइडलाइन मूल्य 10 लाख रुपये है लेकिन उसका सौदा 15 लाख रुपये में होता है, तो रजिस्ट्री शुल्क सौदा मूल्य (15 लाख रुपये) पर लगाया जाता था। इस पर 4% रजिस्ट्री शुल्क के तहत 60 हजार रुपये का भुगतान करना पड़ता था।
नई व्यवस्था के तहत
राज्य सरकार के हालिया फैसले के अनुसार, गाइडलाइन मूल्य से अधिक सौदा मूल्य दिखाने पर छूट दी जाएगी। उदाहरण के तौर पर, यदि 15 लाख रुपये पर रजिस्ट्री होती है, तो अब 20 हजार रुपये की बचत होगी। यानी, शुल्क में यह बदलाव नागरिकों के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद साबित होगा। यह कदम न केवल आम नागरिकों को राहत देगा, बल्कि संपत्ति के वास्तविक मूल्य को दर्शाने की प्रवृत्ति को भी बढ़ावा देगा।
वर्तमान स्थिति और समस्या
वर्तमान में, गाइडलाइन मूल्य और सौदा मूल्य में बड़ा अंतर होने के बावजूद, लोग पंजीयन शुल्क से बचने के लिए गाइडलाइन मूल्य या इसके आसपास का सौदा मूल्य रजिस्ट्री में दर्ज कराते हैं। यह इसलिए होता है, क्योंकि पंजीयन शुल्क गाइडलाइन मूल्य या वास्तविक सौदा मूल्य (जो अधिक हो) पर लगाया जाता है। अधिक शुल्क से बचने के लिए लोग संपत्ति के वास्तविक मूल्य को छिपाते हैं।
इस प्रक्रिया के चलते दो प्रमुख समस्याएं उत्पन्न होती हैं
1.बैंक लोन कम मिलना: जब रजिस्ट्री में कम सौदा मूल्य दिखाया जाता है, तो बैंक उसी आधार पर लोन स्वीकृत करता है, जिससे खरीदार को पूरी वित्तीय मदद नहीं मिल पाती।
2.धोखाधड़ी के मामले: रजिस्ट्री में कम सौदा मूल्य दर्ज होने से, संपत्ति विवाद या धोखाधड़ी की स्थिति में, विक्रेता से वास्तविक मुआवजा प्राप्त करना मुश्किल हो जाता है।
नए नियम और इसके फायदे
नए नियम के अनुसार, गाइडलाइन मूल्य से अधिक वास्तविक सौदा मूल्य दर्ज करने पर पंजीयन शुल्क में छूट दी जाएगी। इससे:
•वास्तविक सौदा मूल्य दर्ज करने की प्रवृत्ति बढ़ेगी।
•बैंक लोन वास्तविक संपत्ति मूल्य के आधार पर मिलेगा, जिससे खरीदारों को अधिक वित्तीय सहायता मिलेगी।
•न्यायिक प्रकरणों में खरीदार संपत्ति का उचित मुआवजा पाने के हकदार होंगे।
•संपत्ति बाजार में पारदर्शिता बढ़ेगी।
यह नीति न केवल आमजनों को राहत देगी बल्कि संपत्ति बाजार में धोखाधड़ी की घटनाओं को भी कम करेगी।