Bhilala Tribal Marriage: शादी को लेकर हर समाज की अपनी एक खास पहचान और संस्कृति होती है. आज जहां शादियों में प्री-वेडिंग शूट, डेस्टिनेशन वेडिंग, और विदेशी स्टाइल के रस्म-रिवाज देखने को मिलते हैं, वहीं छत्तीसगढ़ और मध्य भारत के भिलाला समाज में आज भी सदियों पुरानी परंपराओं को पूरी श्रद्धा और गर्व से निभाया जाता है.
क्या है भिलाला समाज की खास शादी परंपरा?
भिलाला समाज की सबसे दिलचस्प परंपरा ये है कि दूल्हा-दुल्हन की शादी उसके ननिहाल में होती है, यानी लड़की के मामा के गांव में. इस परंपरा को निभाना इतना जरूरी होता है कि चाहे दूल्हा कितनी भी ऊंची पोस्ट पर क्यों न हो, शादी उसी रीति से होती है जैसे उसके पूर्वजों की होती आई है. यहां सादगी और संस्कृति को सबसे ऊपर माना जाता है.
शादी के दिन दूल्हा अपनी बारात लेकर लड़की के मामा के गांव जाता है. वहीं मंडप बनता है और सारे विवाह कर्मकांड उसी जगह पूरे किए जाते हैं. इसमें कोई तड़क-भड़क नहीं होती, बल्कि लोक गीत, पारंपरिक नृत्य और रीति-रिवाजों के साथ शादी होती है. दूल्हा चाहे सरकारी अफसर हो या नेता, सबको परंपरा के अनुसार ही शादी करनी होती है.
क्यों खास है ये परंपरा?
इस परंपरा की खूबसूरती ये है कि यह लोगों को जमीन से जोड़े रखती है. जहां आज की शादियां सोशल मीडिया और दिखावे में उलझ चुकी हैं, वहीं भिलाला समाज की यह शादी संस्कार, सामूहिकता और सादगी को प्राथमिकता देती है. गांव के लोग मिलकर सारी तैयारियां करते हैं और हर कोई इसमें भाग लेता है.
इसके पीछे एक गहरा सामाजिक संदेश भी है. चाहे इंसान कितना भी बड़ा बन जाए, उसे अपनी जड़ों और संस्कृति से जुड़े रहना चाहिए. यही वजह है कि भिलाला समाज की शादियां आज भी लोगों के लिए प्रेरणा बन रही हैं.