छिंदवाड़ा में अचानक से एक बीमारी फैल रही है। यहां बच्चों की किडनी फेलियर से मौत का आंकड़ा 9 तक पहुंच गया है। यहां के बच्चों को गंभीर अवस्था में नागपुर इलाज के लिए भेजा गया था जहां एक बच्चें की मौत हो गई है।
स्वास्थ्य विभाग हतप्रभ
छिंदवाड़ा में अचानक से फैली किड़नी के बीमारी से दहशत फैल गई है। यहां पर स्वास्थ्य विभाग के द्वारा लगातार बच्चों की स्कीनिंग करके किड़नी के बीमारी होने का कारण खोजा जा रहा है। लेकिन अब तक कारण नहीं पता चल पाया है इससे स्वास्थ्य विभाग भी हतप्रभ है। यहां किडनी की बीमारी होने वाले सभी कारणों की जांच की जा रही है। लेकिन अब तक कोई स्पष्ट कारण संज्ञान में नहीं आ पा रही है।
स्क्रीनिंग में तेजी
स्वास्थ्य विभाग द्वारा बीमारी का कारण जानने के लिए अब तक 1,400 बच्चों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। स्क्रीनिंग का अभियान जारी है, ताकि शुरुआती दौर में ही बच्चों को लक्षण का पता लगाकर उनका इलाज किया जा सके। लेकिन अब तक कोई ठोस कारण सामने नही आया है।
30 दिनों में 9 मौत
छिंदवाड़ा जिले में बच्चों में किडनी फेलियर से हो रही मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा हुआ है, क्योंकि पिछले लगभग 30 दिनों में यह आंकड़ा बढ़कर 9 तक पहंच गया है।
4 सितंबर से शुरू हुई बीमारी की शुरुआत
किडनी फेलियर से बच्चों की मौत का सिलसिला 4 सितंबर को पहली मौत के साथ शुरू हुआ था और एक महीने के भीतर यह 9 पर पहुंच गया। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए स्वास्थ्य महकमा और प्रशासन लगातार सक्रिय है। परासिया एसडीएम सौरभ कुमार यादव ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रशासन द्वारा अब तक 1,400 बच्चों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है, और यह स्क्रीनिंग अभियान जारी है।
मुआवजा दिलाने का लिखा पत्र
इस मामले में परासिया विधायक सोहन वाल्मीकि ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर मृतक के स्वजन को 10-10 लाख रुपए के मुआवजा दिलाने की मांग की है।
क्या कफ सिरप से हुई मौत?
बच्चों की मौत के मामले में जो तथ्य सामने आया है। उसके मुताबिक जो सिरप दी गई वो डॉक्टर प्रवीण सोनी ने लिखी थी। जिसमें कोल्ड्रिफ और नेक्सा डीएस शामिल हैं। कोल्ड्रिफ 20 साल पुरानी कंपनी है।
कफ सिरप भी लंबे समय से बाजार में है। इसकी रिटेल कीमत 89 रुपए है। नेक्साडीएससिरप लगभग डेढ़ साल पहले ही बाजार में आया है। इसकी रिटेल कीमत 75 रुपए है। परासिया ब्लॉक के दो प्रमुख शिशु रोग विशेषज्ञ- डॉ. प्रवीण सोनी और डॉ. अमन सिद्दीकी का नाम सामने आया है, जिनके पर्चों पर कोल्ड्रिफ सिरप लिखा पाया गया है। विशेष रूप से डॉ. सोनी के परिवार के सदस्य ही उनके मेडिकल स्टोर का संचालन करते हैं, जहां यह दवा आसानी से उपलब्ध थी। इस पर अब तक स्वास्थ्य विभाग ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। लेकिन यह संभावना है कि कफ सिरप में मौजूद कोई तत्व बच्चों की किड़नी पर प्रभाव डाल रहा है।
परिजनों का यह है कहना
एक बच्चे के पिता का कहना है कि 31 अगस्त को उसेद को बुखार आया था। स्थानीय क्लीनिक में इलाज के बाद 6 सितंबर को वह ठीक हो गया। अगले दिन फिर बुखार आया तो उसे छिंदवाड़ा अस्पताल ले जाया गया, जहां से उसे नागपुर रेफर कर दिया गया। डॉक्टरों ने बताया कि उसकी किडनी में इंफेक्शन है। पेशाब रुक रही है।
बुखार के बाद हुई कई बच्चों की मौत
इलाज के दौरान उसेद का तीन बार डायलिसिस करवाया गया, जिससे किडनी की बीमारी में आराम मिला। लेकिन इस बीच उसके ब्रेन में सूजन आ गई। ब्रेन हेमरेज हो गया। 6 दिन चले इलाज के बाद 13 सितंबर की शाम को उसकी मौत हो गई। परासिया में रहने वाली आफरीन परवीन की आंखों में भी आंसू हैं। इस संयुक्त परिवार में कुछ दिन पहले तक 12 बच्चे थे, लेकिन अब सिर्फ 11 ही बचे हैं। उनका सबसे बड़ा बेटा अदनान, जो सिर्फ 5 साल 8 महीने का था, अब इस दुनिया में नहीं रहा। दोनों किडनियां खराब होने के कारण उसकी जान चली गई।
इंजेक्शन के बाद हुई मौत
आफरीन ने बताया कि 21 अगस्त को अदनान को पहली बार बुखार आया था। दवा लेने के बाद वह ठीक हो गया था। 26 अगस्त को उसे बार-बार उल्टी होने लगी, जिसके कारण परासिया के अस्पताल में भर्ती कराया गया। 27 अगस्त को फिर से बुखार आने पर उसे इंजेक्शन दिया गया।
अदनान लगातार पेट दर्द और उल्टी की शिकायत कर रहा था। उमरेठ के वार्ड क्रमांक 6 में रहने वाले चार वर्षीय हितांश सोनी ने शुक्रवार को दम तोड़ा। पिता अमित सोनी ने बताया कि बच्चे को बुखार आने पर परासिया के शिशु रोग विशेषज्ञ के पास लेकर गए थे। जहां तीन दिन उपचार के बाद भी जब बच्चे को आराम नहीं मिला तो डॉक्टर ने उसे नागपुर रेफर कर दिया।