स्वतंत्र समय, जबलपुर
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने चीफ जस्टिस ( Chief Justice ) सुरेश कुमार कैत के सरकारी आवास में हनुमान मंदिर को तोडऩे का दावा किया है। एसोसिएशन ने राष्ट्रपति, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया और कानून मंत्री से इसकी शिकायत भी की है। इधर, हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल हरमिंदर सिंह ने एक पत्र जारी कर बार एसोसिएशन के दावों का खंडन किया है।
Chief Justice के बंगले में कोई मंदिर था ही नहीं
उनका कहना है कि चीफ जस्टिस ( Chief Justice ) के सरकारी बंगले में कभी कोई हनुमान मंदिर नहीं था। जबकि, बार एसोसिएशन के अध्यक्ष धन्य कुमार जैन का कहना है कि अगर उनके आरोप गलत साबित होते हैं, तो उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जाए। बार एसोसिएशन का कहना है कि चीफ जस्टिस के आवास स्थित मंदिर प्राचीन और ऐतिहासिक था। यह मंदिर पहले धर्म से मुस्लिम रहे दो मुख्य न्यायाधीशों, जस्टिस रफत आलम और जस्टिस रफीक अहमद के कार्यकाल में भी यथावत रखा गया था। इसे चीफ जस्टिस कैत के कार्यकाल में बिना किसी प्रक्रिया को अपनाए हटा दिया गया। एमपी हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने राष्ट्रपति, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया और कानून मंत्री को लिखित शिकायत भेजकर जांच और कार्रवाई की मांग की है। एसोसिएशन का दावा है कि यह बंगला और मंदिर सरकारी संपत्ति है। उन्होंने पत्र में कहा कि इस मंदिर का पुनर्निर्माण समय-समय पर सरकारी धन से होता रहा है। बार एसोसिएशन ने लिखा कि बंगले में सनातन धर्म को मानने वाले मुख्य न्यायाधीश और कर्मचारी अक्सर रहते रहे हैं, ताकि उन्हें पूजा-अर्चना के लिए कहीं और समय न देना पड़े।