New Delhi / Dhar : देश को बाल विवाह जैसी कुप्रथा से मुक्त करने के लिए केंद्र सरकार ने एक बड़े राष्ट्रीय अभियान का आगाज किया है। गुरुवार को दिल्ली में एक शपथ ग्रहण समारोह के साथ 100 दिवसीय ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान की शुरुआत की गई। इस मौके पर महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी और केंद्रीय राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर ने लोगों को बाल विवाह न होने देने की शपथ दिलाई।
यह अभियान देश भर में बाल विवाह के खिलाफ एक सशक्त माहौल बनाने और इसके दुष्प्रभावों को रोकने पर केंद्रित है। सरकार का लक्ष्य इस अभियान के माध्यम से जमीनी स्तर पर बदलाव लाना है, ताकि बच्चियों का भविष्य सुरक्षित हो सके।
अभियान के मुख्य उद्देश्य क्या हैं?
इस 100 दिवसीय विशेष अभियान का दायरा काफी व्यापक है। इसका प्राथमिक उद्देश्य बाल विवाह से होने वाले नुकसान को रोकना है। इसके तहत कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर जोर दिया जाएगा, जिनमें शामिल हैं:
बच्चों को यौन शोषण और दुर्व्यवहार से बचाने के लिए पॉक्सो अधिनियम 2012 के प्रति जागरूकता बढ़ाना।
बालिकाओं की शिक्षा और पोषण को बढ़ावा देना, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें।
बाल विवाह के कारण बढ़ने वाली मातृ मृत्यु दर में कमी लाना।
समाज में व्याप्त लैंगिक असमानता को दूर करने की दिशा में काम करना।
धार में भी शुरू हुई जनजागरूकता
राष्ट्रीय अभियान के साथ ही मध्य प्रदेश के धार जिले में भी इसे लेकर गतिविधियां शुरू हो गई हैं। जिला कार्यक्रम अधिकारी सुभाष जैन के निर्देश पर यहां भी 100 दिवसीय विशेष जनजागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। ‘हब फॉर एम्पावरमेंट ऑफ वुमन’ और 16 दिवसीय अंतरराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन अभियान के तहत वन स्टॉप सेंटर धार ने विक्रम नगर आंगनवाड़ी केंद्र में एक कार्यक्रम आयोजित किया।
इस कार्यक्रम में महिलाओं और बालिकाओं को लिंग-आधारित हिंसा और उनकी सुरक्षा के लिए उपलब्ध कानूनी प्रावधानों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।
महिलाओं के लिए उपलब्ध सहायता तंत्र
कार्यक्रम के दौरान महिलाओं को बताया गया कि उनकी सुरक्षा के लिए कई सरकारी तंत्र सक्रिय हैं। महिला हिंसा अधिनियम 2005 के तहत ‘महिला ऊर्जा हेल्प डेस्क’ और ‘महिला थाना’ शिकायतें दर्ज करने और उन पर त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं।
इसके अलावा, जिला विधिक सहायता प्राधिकरण पीड़ित महिलाओं को निशुल्क कानूनी सहायता प्रदान करता है। वन स्टॉप सेंटर के माध्यम से पीड़ित महिलाओं को पुलिस सहायता, आश्रय, आपातकालीन मदद, परामर्श, स्वास्थ्य सेवा और कानूनी सहायता जैसी सभी सुविधाएं एक ही छत के नीचे मिलती हैं।
अधिकारियों ने महत्वपूर्ण हेल्पलाइन नंबरों की जानकारी भी दी, जिनमें महिला हेल्पलाइन 181, पुलिस हेल्पलाइन 112 और साइबर धोखाधड़ी के लिए साइबर हेल्पलाइन 1930 शामिल हैं, ताकि किसी भी आपात स्थिति में तत्काल मदद मिल सके।