कांग्रेस सत्ता में तो नहीं है लेकिन इतने साल विपक्ष में रहने के बाद भी कांग्रेस के नेताओं में शालिनता नहीं आई। पद और पार्टी को तवज्जों देने वाले चिंटू चौकसे को जैसे ही शहर अध्यक्ष का पद मिला है वह अपनी मर्यादा ही भूल गए है। शहर अध्यक्ष का पद मिलने के बाद वह भूल गए के कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से किस तरह से पेश आना है। कैसे नर्मता के साथ वरिष्ठों की नाराजगी दूर करनी है। वह शहर अध्यक्ष क्या बने अपनी मर्यादा ही भूल गए।
पार्षदी से ऊपर नहीं जीता है चुनाव
चींटू चौकसे अब तक इंदौर शहर में कांग्रेस पार्टी से पार्षदी ही कर पाए है। पार्षद होने के नाते नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष बने और वर्तमान में शहर अध्यक्ष है जबकि वह जिस वरिष्ठ नेता की अनदेखी करके स्वयं को यूवा नेता साबित करने में लगे है उन्होने अपनी पूरी जिंदगी कांग्रेस पार्टी में बिता दी। राजनैतिक दौर में उन्होंने चाहे प्रदेश के हित में कार्य किया हो या ना किया हो लेकिन उनका व्यक्तिगत व्यवहार हमेशा पार्टी में मधुर रहा है। जब दिग्विजय सिह सीएम बने तब भी उनको इतना अभिमान नहीं था। इसके विपरित चीटूं चौकसे शहर अध्यक्ष बन कर ही अपनी मर्यादा भूल गए।
जीतू पटवारी को भी सिर्फ मिला है भाजपा सरकार का फायदा
गौरतलब है कि पीसीसी चीफ बने जीतू पटवारी को भी प्रदेश स्तर पर कांग्रेस पार्टी में इतना बड़ा पद मिलना सिर्फ पार्टी में किसी और चेहरे का ना दिखना है। इसके साथ ही विपक्ष में रह कर पीसीसी चीफ की जिम्मेदारी संभालने का साहस किसी और के द्वारा ना दिखाना है। आज जो कांग्रेस की स्थिति है उसमें कांग्रेस को पद लेने वालो की होड़ नहीं है। जब कांग्रेस पार्टी के पास कोई नेता नहीं है। वरना अपनी अकड़ के चलते राऊ विधानसभा से ही चुनाव हारने वाले विधायक को कांग्रेस पार्टी इतना बड़ा पद कभी नही देती।
नेताओं का ऑडियो लीक
इंदौर में कांग्रेस के दो नेताओं के बीच बातचीत का एक ऑडियो लीक हुआ है। इनमें से एक आवाज शहर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुरजीत सिंह चड्ढा तो दूसरी आवाज शहर कांग्रेस अध्यक्ष चिंटू चौकसे की बताई जा रही है। चड्ढा और चौकसे की इस कथित बातचीत के सेंटर में पूर्व सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह हैं।
हम क्या किसी के बाप के नौकर हैं?
इस कथित बातचीत में चौकसे को दिग्विजय के खिलाफ अपशब्द और मां-बहन की गालियां देते हुए सुना जा सकता है। वे चड्ढा से कहते हैं- हम क्या किसी के बाप के नौकर हैं? वहीं, सुरजीत चड्ढा उन्हें समझाने की कोशिश करते हुए दिग्विजय सिंह को ‘पिता तुल्य’ बताते हैं, मगर चौकसे का गुस्सा कम नहीं होता।
गुटीय राजनीति चरम पर पहुंची
पूरी बातचीत सुनने पर ये साफ समझ आता है कि इंदौर कांग्रेस में जो गुटीय राजनीति है, वो अब सतह पर आ चुकी है। हालांकि, भास्कर ने जब चड्ढा से इस ऑडियो को लेकर बात की तो उन्होंने इससे इनकार किया। मगर ये भी कहा कि जो लोग दिग्विजय की उपेक्षा कर रहे हैं, वो ही इसका जवाब दे सकते हैं। दूसरी ओर चिंटू चौकसे ने कॉल रिसीव ही नहीं किया।
एक शहर, एक पार्टी, दो तस्वीरें; सामने आई कांग्रेस की दरार
इस पूरे विवाद की जड़ को समझने के लिए 31 अक्टूबर की सुबह इंदौर में घटी दो घटनाओं को देखना जरूरी है। ये दो तस्वीरें इंदौर कांग्रेस की अंदरूनी कहानी को बिना किसी लाग-लपेट के बयान करती हैं।
पहला तब जब शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चिंटू चौकसे अपने समर्थकों के साथ सरदार वल्लभ भाई पटेल और इंदिरा गांधी की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण करने पहुंचे। यहां उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को एकता और अखंडता की शपथ दिलाई। मंच पर मौजूद नेताओं ने अपने भाषणों में एकजुटता का संदेश दिया।
दूसरा तब जब ठीक एक घंटे बाद, उसी स्थान पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह अपने पुराने और विश्वस्त समर्थकों के साथ पहुंचे। उनके साथ पूर्व शहर अध्यक्ष सुरजीत सिंह चड्ढा भी थे। दिग्विजय सिंह ने अपनी टीम के साथ उन्हीं प्रतिमाओं पर अलग से माल्यार्पण किया। मंच अलग था, चेहरे अलग थे और संदेश भी साफ था- इंदौर कांग्रेस में अब सब कुछ ठीक नहीं है।
दिखी समन्वय की कमी
यह कोई समन्वय की कमी का मामला नहीं था, बल्कि यह एक खुला शक्ति प्रदर्शन था। दिग्विजय सिंह इंदौर में मौजूद होने के बावजूद शहर कांग्रेस कमेटी के आधिकारिक कार्यक्रम से दूर रहे। वहीं, दूसरी ओर शहर अध्यक्ष चिंटू चौकसे ने पार्टी के इतने वरिष्ठ नेता को कार्यक्रम में बुलाने की जहमत तक नहीं उठाई।
शीतलामाता बाजार से शुरू हुआ विवाद
इस टकराव की नींव करीब एक महीने पहले सितंबर के आखिरी हफ्ते में ही रख दी गई थी। मामला इंदौर के प्रसिद्ध शीतलामाता बाजार का था, जहां कुछ दुकानों से मुस्लिम कर्मचारियों को कथित तौर पर हटाए जाने की खबरें सामने आई थीं। इस संवेदनशील मुद्दे पर दिग्विजय सिंह ने तुरंत हस्तक्षेप किया। वे सीधे इंदौर पहुंचे, प्रभावित व्यापारियों से मिले, पुलिस के आला अधिकारियों से भी बात की।
इस पूरे घटनाक्रम के दौरान शहर कांग्रेस अध्यक्ष चिंटू चौकसे कहीं नजर नहीं आए। उनकी अनुपस्थिति ने कई सवाल खड़े कर दिए। इसका असर अगले ही दिन गांधी भवन में हुई जिला स्तरीय समन्वय बैठक में देखने को मिला। बैठक में चिंटू चौकसे ने बिना नाम लिए दिग्विजय सिंह पर सीधा हमला बोला।
बाहर से आने वाले नेता दे सूचना से शुरू हुआ बवाल
चौकसे ने कहा, ‘भोपाल या बाहर से आने वाले नेता बिना किसी सूचना के अपने स्तर पर आयोजन रख लेते हैं। यह अब नहीं चलेगा। इंदौर में कोई भी बड़ा या छोटा नेता आए, उसे पहले शहर और जिला संगठन से चर्चा करनी होगी, तभी कार्यक्रम तय होगा।’
राजू भदौरिया को तवज्जों देने में कांग्रेस पार्टी का मान भूले
सूत्रों के मुताबिक, चौकसे की नाराजगी की एक और बड़ी वजह थी। दिग्विजय सिंह ने अपने इंदौर दौरे के दौरान चौकसे के करीबी माने जाने वाले राजू भदौरिया को न केवल मिलने से इनकार कर दिया था, बल्कि उन्हें जमकर फटकार लगाते हुए वहां से भगा दिया था। यह घटना चौकसे के लिए एक व्यक्तिगत अपमान की तरह थी, जिसे वे पचा नहीं पा रहे थे।