चिराग पासवान : बिहार में एनडीए सरकार चुनाव की तैयारी में जुट गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में सरकार ने अनुसूचित जाति आयोग, महिला आयोग और अन्य बोर्डों का पुनर्गठन कर कई नेताओं को जगह दी है। इसका मकसद टिकट न मिलने पर होने वाली नाराजगी और बगावत को कम करना है। इसी बीच लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। साथ ही उन्होंने 70 सीटों पर दावेदारी कर एनडीए में हलचल मचा दी है। चिराग अब वोट कटवा की छवि से निकलकर अपने पिता रामविलास पासवान की तरह किंगमेकर बनने की कोशिश में हैं। उनकी रणनीति साफ है—चुनाव में असरदार भूमिका निभाना। चर्चा में 33 ऐसी सीटें हैं जिनके जरिए चिराग इस लक्ष्य को पाना चाहते हैं। अब सभी की निगाहें इन सीटों पर टिकी हैं।
इन 33 सीटों से चिराग पासवान को किंगमेकर बनने की उम्मीद
चिराग पासवान और उनकी पार्टी बिहार की 33 सीटों के सहारे राज्य में अहम भूमिका निभाना चाहती है। ये वही सीटें हैं, जहां 2020 के चुनाव में उनकी पार्टी ने जेडीयू को भारी नुकसान पहुंचाया था। एलजेपी ने तब 137 सीटों पर चुनाव लड़ा और सिर्फ एक सीट जीती, लेकिन 33 सीटों पर जेडीयू की हार में बड़ी भूमिका निभाई। 28 सीटों पर एलजेपी को जेडीयू की हार से ज्यादा वोट मिले और 5 सीटों पर जेडीयू तीसरे नंबर पर चली गई। यही 33 सीटें अब चिराग की बार्गेनिंग की ताकत बन गई हैं, जिनसे वह दबाव बना रहे हैं।
आरजेडी और महागठबंधन होंगे आमने-सामने
बिहार चुनाव नतीजों के बाद नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी जेडीयू की कमजोर स्थिति के लिए चिराग पासवान की पार्टी को जिम्मेदार माना था। कुछ जेडीयू नेताओं ने इसके पीछे बीजेपी की चाल बताई थी, जिससे नीतीश ने एनडीए छोड़ महागठबंधन का साथ लिया। लेकिन इस बार हालात अलग हैं। अगर चिराग अकेले चुनाव लड़ते हैं, तो उनका सीधा मुकाबला आरजेडी और महागठबंधन से होगा।