चिराग पासवान का चुनावी ऐलान महज रणनीति, असली चाल पर्दे के पीछे

चिराग पासवान: आमिर खान ने फिल्म दंगल में अपनी बेटी को कुश्ती का एक अहम पाठ पढ़ाया था—दांव दिखाना अलग बात है और असली दांव चलना कुछ और। ठीक यही बात इन दिनों बिहार की राजनीति में देखने को मिल रही है। यहां जो दिखाया जा रहा  है, हकीकत उससे अलग है। जब चिराग पासवान के जीजा और जमुई के सांसद अरुण भारती ने कहा कि चिराग पासवान बिहार विधानसभा चुनाव 2025 लड़ सकते हैं, तो राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई।

इरादा कुछ और है, दिखावा कुछ और

चिराग पासवान ने भी कहा कि अगर उनकी पार्टी चाहती है, तो वे बिहार विधानसभा चुनाव 2025 लड़ सकते हैं। इतना कह देना ही विरोधी पार्टियों में ही नहीं, बल्कि जेडीयू के अंदर भी हलचल मचाने के लिए काफी था। क्योंकि जेडीयू के सांसद और मंत्री ललन सिंह ने 2022 में खुद कहा था कि जेडीयू को कमजोर करने के लिए चिराग मॉडल अपनाया गया था। ऐसे में चिराग का चुनाव लड़ने जैसा बयान भी राजनीतिक माहौल को गर्म कर देने के लिए काफी हो गया।

चिराग की बात पर फिर छिड़ी बहस

इसके बाद बिहार की राजनीति में यह चर्चा तेज हो गई कि चिराग पासवान किस विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। लोगों ने यह भी सवाल उठाया कि जब केंद्रीय मंत्रियों को राज्य चुनाव में उतारना बीजेपी की रणनीति थी, तो लोजपा (रामविलास) ने इस तरीके को क्यों अपनाया? अब तो बात चिराग पासवान के उपमुख्यमंत्री बनने तक पहुंच गई है। लेकिन क्या सच में सब कुछ वैसा ही है, जैसा नजर आता है या फिर इसके पीछे कुछ और रणनीति छुपी है?