चितारी घाट पर रेत माफिया ने उतारीं पनडुब्बियां, दिन-रात उत्खनन जारी

स्वतंत्र समय, शिवपुरी

बीते दिनों करैरा क्षेत्र में सिंध नदी के चितारी घाट पर पनडुब्बियां उतार दी हैं। वहीं फोरलेन हाइवे पर खुलेआम बंदूकें लहरा कर लोड करते हुए रेत माफिया का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ, परंतु कार्रवाई के नाम पर ढाक के तीन पात ही रहा। प्रदेश के मुखिया डॉ. मोहन यादव ने भले ही खनिज विभाग को अपने पास रखा है और अधिकारियों को अवैध उत्खनन पर रोक लगाने के आदेश दिए हों, लेकिन करैरा क्षेत्र में कल्याणपुर रेत खदान की लीज के नाम पर रेत का अवैध उत्खनन एवं परिवहन टोकन सिस्टम से बेदस्तूर जारी है। खनिज विभाग और पुलिस महकमा नाम मात्र कार्रवाई को अंजाम देकर अपने फर्ज की इतिश्री कर लेता है। इस कारण रेत माफिया अंचल में बेखौफ होकर दिन-रात अवैध रेत का उत्खनन एवं परिवहन कर रहे हैं।

चितारी घाट पर माफिया ने 500 मीटर क्षेत्र में ही 11 पनडुब्बियां उतारी

करैरा क्षेत्र में सिंध नदी के चितारी घाट पर माफिया द्वारा 500 मीटर क्षेत्र में ही 11 पनडुब्बियां उतार दी हैं और दिन-रात सिंध नदी से रेत निकाली जा रही है। वहीं गुरूवार को बगेधरी रेत खदान पर प्रशासन द्वारा रेत माफियाओं पर कार्रवाई की गई, परंतु अब सवाल यह खड़ा हो रहा है कि दो अन्य पनडुब्बियों को अभयदान क्यों दिया गया? सिर्फ प्रशासन द्वारा एक पनडुब्बी को आग के हवाले कर दिया। वहीं करैरा-नरवर क्षेत्र में अन्य घाटों पर इतने बड़े स्तर पर चल रहे अवैध रेत उत्खनन को रोकने में खनिज विभाग एवं पुलिस प्रशासन भी नाकाम साबित हो रहा है या फिर यह सब मिलीभगत से चल रहा है। यह तो राम ही जानें। चितारी घाट पर सिंध लबालब रहती है और इसकी तलहटी में काफी रेत जमा है। यही कारण है कि माफिया पनडुब्बियां डालकर रेत निकालकर किनारे पर इकट्ठा करता है, फिर बुलडोजर से डंपरों में भरकर परिवहन कर देता है। ऐसा नहीं कि प्रशासन, पुलिस और खनिज विभाग के अफसरों को इतने व्यापक स्तर पर हो रहे उत्खनन की जानकारी नहीं है, लेकिन अफसर यदा-कदा दिखावे की कार्रवाई कर इतिश्री कर लेते हैं। वहीं खनिज विभाग या पुलिस विभाग के अधिकारी से बात करते हैं तो वह अवैध उत्खनन की बात से अनजान बन जाते हैं।

चितारी घाट पर इस प्रकार काम करती हैं पनडुब्बियां

नदी से रेत निकालने के लिए माफिया एक विशेष प्रकार की पनडुब्बी का निर्माण कराते हैं। इसमें लोहे के पाइप की एक चेन बनाई जाती है, जिसका एक सिरा नदी किनारे की ओर होता है और दूसरा हिस्सा पानी के अंदर मौजूद रेत पर। यह दोनों सिरे डीजल इंजन से जुड़े होते हैं। यहां नाव में सक्शन पंप मशीन (पनडुब्बी) रखकर उसे नदी के बीच में ले जाया जाता है। सेक्शन पंप मशीन चालू होते ही वह नदी से पानी के सहारे रेत को बाहर फेंकती है। इस पनडुब्बी की कीमत 92.5 से 3 लाख होती है। नाव और पाइप पर करीब 1 लाख रुपए खर्च होते हैं। यह पनडुब्बी डीजल इंजन वाले ट्यूबवेल की तर्ज पर काम करती है।

खतरे में नदी एवं जलीय जीव के लिए भी जीवन संकट

पानी से भरी नदी में तमाम जलीय जीव-जंतु रहते हैं। पनडुब्बियों से रेत खींचने से इन जीव-जंतुओं पर सीधा असर पड़ रहा है। इससे नदी का इको सिस्टम बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से कोई अभी तक जांच करने भी नहीं पहुंचा है। नियमानुसार, नदी जो रेत बाहर फेंक देती है, उसी को उठाया जा सकता है।

प्रशासन, पुलिस और अन्य लोगों को मैनेज करते हैं कटर

माइनिंग विभाग के अधिकारी भी इस बात को कबूल करते हैं कि उनके पहुंचने के पहले माफिया को खबर हो जाती है। माफिया के खबरी विभाग में भी फैले हुए हैं। दरअसल जिन जगहों से खनन किया जाता है, वहां पर आसपास के गांव के लोग ही काम करते हैं। जैसे ही बाहर की कोई भी गाड़ी दिखती है तो खबर माफिया तक पहुंच जाती है। खनन की जगह पर पहुंचने के पहले ही डंपर, बैलगाड़ी आदि अड़ाकर रास्ता रोक दिया जाता है। इससे अधिकारी भी वहां जाने से डरते हैं। माफिया ने अपने-अपने कटर भी प्रशासन और अन्य लोगों को मैनेज करने के लिए रखे हुए हैं। हर किसी का हिस्सा समय पर पहुंचाने की जिम्मेदार यह कटर निभाते हैं।

करैरा के इन क्षेत्रों में हो रहा रेत का अवैध उत्खनन

करैरा विधानसभा के सीहोर थाना अंतर्गत ग्राम चितारा के फोरेस्ट एरिया में स्थित सिंध नदी मे पनडुब्बी लगाकर रेत निकाली जा रही है। इसके अलावा बीजोर, धमधौली, अमोला के टोड़ा, छितीपुर, सोन्हर, जुझ़ाई, सुनारी चौकी के ग्राम दौनी, अंदौरा में रेत का अवैध उत्खनन एलएंडटी व पनडुब्बियों से किया जा रहा है। इसके अलावा करैरा के ग्राम चंदोरा, नरवर, मगरौनी, पिछोर में बम्हारी गांव से, अमोला में सूढ़ेश्वर का जहां मेला भरता है, वहां से रेत का उत्खनन दिन-रात बेरोकटोक चलता रहता है।

रेत से भरे डम्पर को गतंव्य तक पहुंचने में चढ़ानी होती है चढ़ौत्री

करैरा विधानसभा क्षेत्र में सिंध नदी के किनारों पर जगह-जगह एलएंडटी व पनडुब्बी लगाकर रेत का अवैध उत्खनन बेरोकटोक चल रहा है। हर दिन एक सैकड़ा से अधिक डंपर एक दर्जन से अधिक अवैध खदानों से रेत भरकर निकल रहे हैं। रेत खदान जिस थाना क्षेत्र में संचालित हो रही है, वहां के थाना प्रभारी को सबसे कम राशि वसूली के रूप में मिलती है, जबकि रास्ते में पडऩे वाले दूसरे पुलिस थानों के रेट अधिक हैं। बाजार में रेत का एक डंपर 30 से 35 हजार रुपए में बिक रहा है, जबकि उसे खदान से निकलकर रेत मंडी तक पहुंचने में 22 से 25 हजार रुपए की चढ़ौत्री चढ़ानी पड़ती है।