स्वतंत्र समय, इंदौर
खरगोन के निवासी 42 वर्षीय किसान सुभाष पटेल को 25 अगस्त को खेती करते समय एक सांप ने काट लिया था, उसके बाद उनके परिजन जब उनको खरगोन में स्थित अस्पताल के डॉक्टरों के पास लेकर पहुचे तो उन्होंने अपने हाथ खड़़े कर दिया। डॉक्टरों द्वारा हाथ खड़े करते ही परिजन उनको इंदौर ले आए। इंदौर में लेकर आए परिजनों ने सुभाष पटेल को एलआईजी चौराहे पर स्थित सीएचएल केयर अस्पताल में एडमिट करवाया। यहां उनको एडमिट करवाने के बाद भी उनकी हालत में कोई सुधार नहीं आया। इसी वजह से सुभाष के शरीर के अंग पैरालिसिस के शिकार होना शुरू हो गए थे। सीएचएल केयर में सुभाष पटेल 7 दिन तक यानी 2 सितंबर तक एडमिट रहे, जहां सीएचएल केयर के प्रबंधन ने 4 लाख 30 हजार रुपए का बिल परिजनों को थमा दिया और अपने हाथ खड़े कर दिए थे। सीएचएल केयर द्वारा बनाए गए बिल को भरने में पटेल के परिजनों के सभी पैसे समाप्त हो गए थे।
28 दिनों तक बड़े लंबे संघर्ष के बाद बची जिंदगी
अब पटेल के परिजनों के पास उसको सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाने के अलावा कोई भी विकल्प नहीं बचा था, जहां एक तरफ सीएचएल केयर के डॉक्टरों ने अपने हाथ खड़े कर दिए थे। वहीं दूसरी तरफ सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने उन्हें तुरंत भर्ती कर उनका तत्काल इलाज शुरू कर दिया था। जब सुभाष को सीएचएल केयर से सरकारी अस्पताल ले जाया गया, तब उनकी बचने की उम्मीद बेहद ही कम थी। इसी वजह से वहां मौजूद डॉक्टरों ने उनको वेंटीलेटर और डायलिसिस सपोर्ट देकर उनका इलाज करना शुरू कर दिया। बचने की बेहद कम उम्मीद के साथ सरकारी अस्पताल पहुंचे। सुभाष का सही तरीके से इलाज कर डॉक्टरों ने 28 दिनों तक बड़े लंबे संघर्ष के बाद आखिरकार मौत से लड़ रहे मरीज को जिंदगी की जंग जितवाने में सफल रहे।