स्वतंत्र समय, भोपाल
नागरिक आपूर्ति निगम में भ्रष्टाचार का मामला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। पिछले साल करोड़ों की धान मिलरों को दी गई थी, जिसका चावल गायब कर दिया गया। इस मामले में तीन दर्जन से अधिक मिलरों के खिलाफ एफआईआर की फाइल ठंडे बस्ते में चली गई है। इसके बाद भी राइस मिलर्स एफसीआई में चावल जमा नहीं करा रहे हैं। वैसे निगम के अधिकारियों के संरक्षण में मिलरों की मनमानी के चलते हर साल सरकार को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
नागरिक आपूर्ति निगम के अफसरों की मिलीभगत
गौरतलब है कि मिलर्स को 1965 लॉट चावल जमा कराया जाना था। जो 4 लाख 82 हजार 850 क्विंटल होता है। लेकिन अब तक जमा नहीं हुआ है। राइस मिलर्स ने जो चावल जमा नहीं किया है उसकी कीमत करीब डेढ़ सौ करोड़ के आसपास है। सूत्रों की मानें तो इस पूरे कारोबार में वह राइस मिलर्स और नागरिक आपूर्ति निगम के अफसरों की मिलीभगत सामने आई है। जिन्हें राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। वह बड़ी आसानी से सरकारी चावल को बाजार में बेचते हैं और फिर घटिया चावल को एफसीआई के गोदाम में जमा करा देते हैं इससे उन्हें मोटी कमाई होती है।3
माह से रखी धान की अवधि समाप्त
बताया जाता है कि समर्थन मूल्य पर खरीदी गई धान को राइस मिलर्स को देने के मामले में मप्र स्टेट सिविल सप्लाइज कापोर्रेशन ने आरक्षण की अवधि निर्धारित की थी, जिसमें कहा गया था कि मिलर्स को जो धान दी जाएगी उसकी अवधि सिर्फ तीन माह ही होगी। ऐसे में मार्च माह में आरक्षित धान की अवधि समाप्त हो गई है। इसके बाद भी कई मिलर्स चावल जमा करने में रुचि नहीं ले रहे हैं।
चार मिलर्स ने जमा नहीं किया 52 करोड़ का चावल
सूत्रों की मानें तो प्रदेश में सिर्फ चार राइस मिलर्स ऐसे हैं, जिन पर नागरिक आपूर्ति निगम मेहरबान है। इनके द्वारा 52 करोड़ का चावल अभी तक जमा नहीं कराया गया है। नागरिक आपूर्ति निगम ने बचे हुए चावल के संबंध में राइस मिलर्स को न तो पत्र जारी किया है और न ही नोटिस। सवाल यह उठता है कि जब महाप्रबंधक मिलिंग द्वारा इन राइस मिलरों को नोटिस जारी कर सख्ती के साथ चावल जमा कराए जाने के निर्देश दिए गए हैं इसके बाद भी यह राइस मिलर्स चावल जमा क्यों नहीं कर रहे हैं।
63 ने किया था मिलिंग का अनुबंध
धान मिलिंग के लिए 63 राइस मिलर्स ने धान का अनुबंध किया था। लेकिन नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा सिर्फ चार मिलर्स को ही धान डिलेवरी आर्डर जारी किया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो ये राइस मिलर्स अफसरों से सांठगांठ कर लाभ उठा रहे हैं। मिलिंग के लिए धान न मिलने की वजह से करीब 50 से अधिक राइस मिल एक माह से बंद हैं, जबकि 13 राइस मिल बची। उसमें से 9 राइस मिल 15 दिनों से बंद है। बताया जाता है कि गोदामों में सिर्फ 4 लाख 30 हजार क्विंटल धान ही बची है ऐसे में चार राइस मिलर्स ही इसका लाभ ले पा रहे हैं। बाकी बंद होने की कगार पर पहुंच गए।