1960 में हुए सिंधु जल समझौते पर बात करते हुए पीएम मोदी ने खुलासा किया, “अगर आप इसकी बारीकियों में जाएंगे, तो चौंक जाएंगे। क्या आपने सोचा था कि जम्मू-कश्मीर की नदियों पर बने बांधों की सफाई तक करने पर पाकिस्तान ने हमें रोक दिया। 60 साल से उन बांधों के गेट नहीं खोले गए, उनकी क्षमता घटती चली गई। तो क्या हमारे देश में बहने वाली नदियों के जल पर मेरे देशवासियों का हक नहीं है?”इसके साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि “अभी तो हमने कुछ खास किया ही नहीं है, और वहां (पाकिस्तान) बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। हमने तो बस सफाई शुरू की है और उन्हें पसीना आने लगा है।
गुजरात की सरज़मीं पर जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने माइक संभाला, तो जैसे पूरे गांधीनगर की फ़िज़ा में जोश और गर्व की लहर दौड़ गई। पीएम मोदी ने जब “ऑपरेशन सिंदूर” का ज़िक्र किया, तो उनके शब्दों में सिर्फ़ ताक़त नहीं, बल्कि एक निर्णायक संकल्प की गूंज थी।
सबुत भी साथ लाएं, ठिकानों की तबाह का
प्रधानमंत्री ने बताया कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए कायराना आतंकी हमले का भारत ने ऐसा जवाब दिया कि दुश्मन की नींद उड़ गई। सिर्फ़ 22 मिनट के भीतर 9 आतंकवादी ठिकानों को चुन-चुनकर तबाह कर दिया गया और इस बार सब कुछ कैमरे में कैद किया गया, ताकि कोई “सबूत मांगने” की हिमाकत न करें।
“जंजीरें कटनी थीं… मगर भुजाएं काट दी गईं”
पीएम मोदी ने इतिहास की उस कड़वी हकीकत की ओर इशारा किया, जब 1947 में देश का बंटवारा हुआ। “उसी रात मां भारती पर पहला आतंकवादी हमला हुआ और मुजाहिदीनों की आड़ में पाकिस्तान ने PoK हड़प लिया। अगर उसी वक्त उन्हें कुचल दिया गया होता, तो आज हालात अलग होते। सरदार पटेल चाहते थे कि सेना PoK वापस लिए बिना न रुके, लेकिन उनकी बात नहीं मानी गई। उन्होंने कहा कि “75 साल से ये ज़ख्म रिस रहा है। लेकिन अब देश बदल रहा है, अब जवाब भी उसी भाषा में मिलेगा।”
गुजरात से पाकिस्तान तक गूंजता संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ये भाषण सिर्फ़ एक सभा नहीं था ये चेतावनी थी, जवाब था, और देशवासियों को दिल से जोड़ देने वाला आह्वान था। भारत अब चुप नहीं रहेगा। भारत अब हर मोर्चे पर निर्णायक कार्रवाई करेगा।