Cleanliness survey : स्कूलों की क्लीनिंग दिलाएगी शहर को रैकिंग

विपिन नीमा, इंदौर

इंदौर ही नहीं बल्कि सूरत, नवी मुम्बई समेत सभी नगर निगमों को इस बार स्वच्छता सर्वेक्षण ( Cleanliness survey ) 2024 में अच्छे अंक लाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ेगी। शहर के स्कूलों में अगर गीले-सूखे डस्टबीन के लिए अलग-अलग डस्टबिन नहीं हुए तो नंबर काटे जाएंगे। स्कूली बच्चों में स्वच्छता के प्रति जागरुकता लाने के उद्देश्य से भारत सरकार ने पहली बार स्वच्छता सर्वेक्षण में स्कूलों की स्वच्छता को शामिल किया गया है।

Cleanliness survey में स्कूलों के लिए तीन कैटेगरी

फरवरी माह से शुरु होने वाले स्वच्छता सर्वेक्षण ( Cleanliness survey ) में स्कूलों की सफाई के लिए 400 नंबर निर्धारित किए गए हैं। सर्वेक्षण के दौरान अगर स्कूलों में मापदंड के मुताबिक सफाई व्यवस्था नहीं मिली तो उस शहर की रैकिंग बिगड़ जाएंगी। सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है की स्वच्छता सर्वेक्षण की टीम का सबसे ज्यादा फोकस स्कूलों पर ही रहेगा। स्वच्छता में लगातार सात खिताब जीतने वाले इंदौर शहर में इस समय कुल 1200 स्कूल है,जिसमें 80 शासकीय और 1120 गैर शासकीय स्कूल है। शहर के ये सारे स्कूल स्वच्छता सर्वेक्षण के दायरे में है और नगर निगम ने इन सभी स्कूलों का डाटा अपलोड भी कर दिए है। जानकारी के मुताबिक भारत सरकार के आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय व्दारा आयोजित दुनिया के सबसे बड़े स्वच्छता सर्वेक्षण ( Cleanliness survey ) में पहली बार स्कूलों को भी शामिल किया गया है। इसका मुख्य उददेश्य यह है की स्कूली बच्चों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता लाई जा सके। मंत्रालय ने स्वच्छता सर्वेक्षण में स्कूलों की सफाई को शामिल करके नगर निगमों की चुनौतियां और बढ़ा दी है। स्कूलों की स्वच्छता को लेकर 400 अंक निर्धारित किए गए है। इन अंकों को तीन कैटेगिरी में विभाजित किया गया है जिनमें स्कूलों की स्वच्छता पर 100 अंक, स्कूलों में अपशिष्ट प्रबंधन पर 150 अंक तथा स्कूलों में शौचालयों का रख्ररखाव पर भी 150 अंक रखे गए है।

सूखे-गीले कचरे के कूड़ेदान दिलाएंगे नंबर

इस बार सरकार ने स्वच्छता सर्वेक्षण 2024 के तहत स्कूल में शौचालय की सफाई, सभी कक्षा में गीले-सूखे कचरे के कूड़ेदान, छात्रों के लिए सेनेटरी नैपकिन और उसे डिस्पोजल के लिए नंबर दिए जाएंगे. यह श्रेणी 150 नंबर की तय की गई है. साथ ही केंद्रीय टीम सर्वेक्षण में यह भी देखेगी की जो सुविधा स्कूलों में उपलब्ध कराई जा रही है उनका छात्र छात्राएं प्रयोग कर रहे हैं या नहीं। अधिकारियों ने बताया की सर्वेक्षण के दौरान स्कूलों में गंदगी या सफाई संबंधित व्यवस्थाओं में कमियां पाई गई तो नगर निगम माइनस अंक होने के साथ वह रैकिंग सूची में काफी नीचे आ जाएंगा। इस बार स्कूलों की सफाई पर सबसे ज्यादा फोकस रहेगा। इसलिए सरकार ने स्कूलों की सफाई के लिए 400 अंक निर्धारित किए है।

50- 50 अंकों के ये होंगे- 3 सवाल

  1. क्या स्कूल में लडक़ों और लड़कियों के लिए अलग – अलग शौचालय संचालित अवस्था में हैं? ( 50 अंक)
  2. क्या स्कूल के सभी शौचालयों में प्राकृतिक प्रकाश और हवा के लिए उचित वेंटिलेशन और छत है और कुंडी के साथ सुरक्षित दरवाजा है? (50 – अंक)
  3. क्या स्कूल शौचालय अपशिष्ट/मल कीचड़ के निपटान के लिए सुरक्षित सिस्टम का पालन करता है (50-अंक)

150 अंकों के ये होंगे- 4 सवाल

  1. क्या स्कूल नगरपालिका द्वारा अतिम संग्रहण से पहले गीला कचरा और सूखा कचरा अलग करता है? (40 अंक)
  2. क्या स्कूल प्रत्येक कक्षा, रसोई क्षेत्र तथा अन्य उपयुक्त स्थानों पर सूखा कचरा तथा गीला कचरा अलग-अलग एकत्र करने के लिए अलग-अलग कूड़ेदान उपलब्ध कराता है? (35 अंक)
  3. क्या स्कूल में शौचालयों में मासिक धर्म अपशिष्ट के निपटान के लिए ढक्कन वाले और विशिष्ट रंग के अलग कूड़ेदान हैं? (35 अंक)
  4. क्या स्कूल अपने जैव निम्नीकरणौग अपशिष्ट (गौले अपशिष्ट) से स्वयं खाद बनाता है? (40 अंक)