CM मोहन यादव का सख्त रिव्यू मिशन, दो दिन की मैराथन बैठक में अफसरों से लेंगे काम का पूरा लेखा-जोखा, टॉप और कमजोर जिलों पर होगी सीधी कार्रवाई

राजधानी भोपाल में आज से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के कार्यकाल की पहली फिजिकल कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस की शुरुआत हुई। इस दो दिवसीय उच्चस्तरीय बैठक में प्रदेशभर के कलेक्टर, कमिश्नर, पुलिस अधीक्षक (SP), उप पुलिस महानिरीक्षक (DIG), महानिरीक्षक (IG) और जिला पंचायत सीईओ शामिल हैं। मुख्यमंत्री खुद बैठक की कमान संभाले हुए हैं और हर जिले की विकास योजनाओं, उपलब्धियों और चुनौतियों की बारीकी से समीक्षा कर रहे हैं। यह सम्मेलन सरकार के “Vision to Action” अभियान का हिस्सा बताया जा रहा है — यानी अब केवल योजनाओं का खाका नहीं, बल्कि धरातल पर उनके परिणाम दिखाई देने चाहिए।

मुख्यमंत्री बोले — “अब रिपोर्ट नहीं, नतीजे चाहिए”

बैठक की शुरुआत में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने साफ शब्दों में कहा कि जनता ने सरकार पर भरोसा किया है, और अब यह जिम्मेदारी अफसरशाही की है कि वह इस भरोसे को काम के ज़रिए कायम रखे। उन्होंने कहा — “हम योजनाएं बनाते हैं, बजट देते हैं, लेकिन जनता को फर्क तभी दिखता है जब काम ज़मीन पर दिखे। अब वक्त है नतीजों का, न कि रिपोर्टों का।” मुख्यमंत्री ने सभी जिलों के कलेक्टरों से योजनाओं की प्रगति रिपोर्ट मांगी है और चेतावनी दी है कि जो अधिकारी अपने दायित्वों में सुस्त पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

आठ प्रमुख विषयों पर रहेगा कॉन्फ्रेंस का फोकस

राज्य सरकार ने इस बैठक को केवल समीक्षा तक सीमित नहीं रखा है, बल्कि इसे “थीमैटिक परफॉर्मेंस रिव्यू” का रूप दिया है। इसके तहत आठ प्रमुख क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है —
1. शिक्षा (Education) – स्कूलों की गुणवत्ता, एनईपी का क्रियान्वयन, ड्रॉपआउट दर में कमी।
2. स्वास्थ्य (Health) – स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति, मातृ-शिशु स्वास्थ्य, आयुष्मान योजना का लाभ।
3. रोजगार (Employment) – युवा मिशन, स्टार्टअप नीति, स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन।
4. कृषि (Agriculture) – फसल विविधिकरण, सिंचाई विस्तार, भावांतर योजना की स्थिति।
5. शहरी विकास (Urban Development) – स्वच्छता, जलापूर्ति, और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स की प्रगति।
6. सुशासन (Good Governance) – जनता से संवाद, शिकायत निवारण और पारदर्शिता पर जोर।
7. कानून व्यवस्था (Law & Order) – अपराध नियंत्रण, महिला सुरक्षा, साइबर क्राइम पर रोकथाम।
8. जनजातीय कल्याण (Tribal Welfare) – वनवासी क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार सुधार।

मुख्यमंत्री इन सभी विषयों पर टॉप 5 और कमजोर 5 जिलों की रैंकिंग के आधार पर चर्चा कर रहे हैं। बेहतर प्रदर्शन करने वाले अफसरों को सम्मानित किए जाने की संभावना है, जबकि लगातार पिछड़ने वाले जिलों पर सख्त कार्रवाई के संकेत भी दिए गए हैं।

बैठक का पहला दिन: योजनाओं की हकीकत और फील्ड रिपोर्ट पर फोकस

कॉन्फ्रेंस के पहले दिन राज्य सरकार का फोकस जमीनी स्तर पर योजनाओं के क्रियान्वयन पर रहा। मुख्यमंत्री ने अफसरों से पूछा कि योजनाओं का असर जनता तक कितना पहुंचा और कहां अड़चनें आईं। बताया गया कि कई जिलों में बिजली, सिंचाई और आवास योजनाओं में अपेक्षित प्रगति नहीं हुई है, जिसे लेकर मुख्यमंत्री ने नाराजगी जताई। साथ ही, ऐसे जिलों की भी तारीफ की गई जिन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य में अभिनव पहल की है। विशेष रूप से इंदौर, उज्जैन और जबलपुर को “सिस्टम इम्प्रूवमेंट मॉडल” के तौर पर प्रस्तुत किया गया।

दूसरा दिन: नीतिगत सुधार और विकास की नई दिशा

कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन सरकार की कोशिश नीतिगत सुधारों की दिशा तय करने की है। इसमें प्रशासनिक प्रक्रियाओं को और सरल बनाने, डिजिटल मॉनिटरिंग को बढ़ाने, और योजनाओं के प्रभाव को जनता तक पारदर्शी तरीके से दिखाने पर चर्चा होगी। मुख्यमंत्री ने संकेत दिया है कि भविष्य में प्रत्येक जिले की रैंकिंग प्रणाली लागू की जाएगी, जिसमें “जन-संतुष्टि सूचकांक” भी शामिल रहेगा — यानी जनता खुद बताएगी कि किस जिले का प्रशासन उनके लिए कितना कारगर रहा।

“Vision to Action” की भावना को साकार करना

इस कॉन्फ्रेंस का मकसद सिर्फ समीक्षा बैठक भर नहीं है, बल्कि यह राज्य के प्रशासनिक ढांचे को परिणाम आधारित कामकाज की दिशा में आगे बढ़ाने का रोडमैप है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा — एक “अच्छा प्रशासन वही है जो जनता के जीवन में बदलाव लाए। हमारी कोशिश है कि हर योजना का असर व्यक्ति के जीवन में महसूस हो।”