MP में निवेश के नए द्वार: CM यादव ने इंदौर टेक समिट और सिंहस्थ 2028 की तैयारियों पर दिया बड़ा बयान

Bhopal News : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मध्य प्रदेश अब तकनीकी विकास और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण, दोनों क्षेत्रों में एक साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने इंदौर में हुए ‘एमपी टेक ग्रोथ’ समिट को प्रदेश के लिए एक बड़ी सफलता बताया, जिससे आईटी, ड्रोन और सेमीकंडक्टर जैसे क्षेत्रों में निवेश के नए रास्ते खुलेंगे।
इसके साथ ही, उन्होंने विश्व प्रसिद्ध सिंहस्थ 2028 के आयोजन की तैयारियों पर भी महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया है कि सरकार विकास की हर योजना में समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चल रही है, चाहे वह तकनीकी विशेषज्ञ हों या स्थानीय किसान।
तकनीकी विकास से बदलेगी प्रदेश की तस्वीर
इंदौर में संपन्न हुए एमपी टेक ग्रोथ समिट का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि इस सफल आयोजन से प्रदेश में निवेश गतिविधियों को काफी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने बताया कि सरकार का लक्ष्य मध्य प्रदेश को आईटी, ड्रोन प्रौद्योगिकी और सेमीकंडक्टर निर्माण के क्षेत्र में एक प्रमुख केंद्र बनाना है। इस समिट के माध्यम से निवेशकों और उद्योग जगत के सामने प्रदेश की क्षमताओं को प्रदर्शित किया गया, जिसके सकारात्मक परिणाम जल्द ही दिखाई देंगे।
सिंहस्थ 2028: दिव्यता और भव्यता की तैयारी
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने आगामी सिंहस्थ 2028 को लेकर सरकार की योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह आयोजन सिर्फ एक मेला नहीं, बल्कि भारत की सनातन संस्कृति का गौरव है। सीएम यादव ने कहा कि “विश्व के सबसे बड़े मेले सिंहस्थ 2028 का आयोजन पूर्ण गरिमा, गौरव, भव्यता और दिव्यता के साथ करने के लिए साधु-संतों, जिला प्रशासन, अन्य राज्यों में हुए कुंभ व सिंहस्थ के व्यवस्थापकों तथा स्थानीय किसानों के सुझाव लेकर गतिविधियां संचालित की जा रही हैं।” 
उन्होंने बताया कि आयोजन को अभूतपूर्व बनाने के लिए एक व्यापक रणनीति पर काम चल रहा है। इसमें साधु-संतों के मार्गदर्शन के साथ-साथ उन राज्यों के प्रबंधकों से भी सलाह ली जा रही है, जिन्हें पहले कुंभ या सिंहस्थ जैसे बड़े आयोजन करने का अनुभव है।
किसानों के हितों को प्राथमिकता
सिंहस्थ के आयोजन के लिए भूमि की आवश्यकता पर मुख्यमंत्री ने एक महत्वपूर्ण आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि लैंड पूलिंग के विषय पर पूरी तरह से स्थानीय किसानों के विचारों और सहमति के अनुसार ही कार्य किया जाएगा। सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि किसी भी किसान के हितों को नुकसान ना पहुंचे और पूरी प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से अपनाई जाए। यह कदम किसानों की चिंताओं को दूर करने और उन्हें विकास प्रक्रिया का हिस्सा बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है।