लैब टेस्ट के बिना ही बाजार में बिक गया कोल्ड्रिफ कफ सिरप, SIT की जांच में चौंका देने वाला खुलासा

बच्चों की जान लेने वाले कोल्ड्रिफ कफ सिरप को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। एसआईटी की जांच में सामने आया कि इस जहरीले सिरप की कभी लैब टेस्टिंग हुई ही नहीं। यानी बिना टेस्टिंग के ही सिरप बाजार में पहुंचा और मरीजों को पिलाया गया।

ड्रग विभाग ने नहीं किया निरीक्षण
एसआईटी की जांच में यह भी सामने आया कि ड्रग विभाग ने भी नियमित निरीक्षण नहीं किया। एसआईटी ने फैक्ट्री मालिक रंगनाथन और माहेश्वरी से आमने-सामने पूछताछ की। तीन दिन की रिमांड के बाद माहेश्वरी को जेल भेज दिया गया है।

तमिलनाडू सरकार और श्रीसन फार्मा की लापरवाही
सूत्रों के अनुसार, श्रीसन फार्मा की केमिकल एनालिस्ट के. माहेश्वरी ने पूछताछ में माना है कि कंपनी में लैब टेस्टिंग की बेहतर सुविधा मौजूद नहीं थी। कुछ ही दवाओं की औपचारिक जांच होती थी, जबकि कोल्ड्रिफ कफ सिरप को बिना परीक्षण सीधे बाजार में उतार दिया गया। यही तमिलनाडू सरकार भी इस बात की कोई जांच नहीं करती थी कि दवाइंयों की लैब टेस्टिंग हो रही है या नहीं। दवाइंया जनता के स्वास्थ्य पर क्या असर डालेगी। ऐसी तमाम बातों को नजर अंदाज कर दिया गया।

जांच में यह भी सामने आया कि ड्रग डिपार्टमेंट ने भी कंपनी की रेगुलर जांच नहीं की। वहीं, आरोपी माहेश्वरी करीब 18 साल से इस क्षेत्र में कार्यरत हैं और पिछले चार साल से श्रीसन फार्मा में पदस्थ थीं।

रंगनाथन से आमने-सामने पूछताछ
एसआईटी ने जहरीला सिरप बनाने वाली फैक्ट्री के मालिक रंगनाथन से भी पूछताछ की। जांच टीम उसे कुछ दिन पहले तमिलनाडु लेकर गई थी, जहां से साक्ष्य और दस्तावेज जुटाए गए। शुक्रवार शाम टीम वापस लौटी। बताया जा रहा है कि देर रात तक रंगनाथन और माहेश्वरी को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की गई।

रिमांड खत्म, जेल भेजी गई माहेश्वरी
तीन दिन की पुलिस रिमांड खत्म होने के बाद शनिवार को आरोपी माहेश्वरी को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया। वहीं, फैक्ट्री मालिक रंगनाथन की पुलिस रिमांड 20 अक्तूबर तक तय की गई है।

सबुत नहीं खोज पा रही है पुलिस
सूत्रों का कहना है कि पुलिस ने जांच के दौरान कंपनी से जुड़े कई दस्तावेज और आर्थिक लेनदेन से संबंधित जानकारी जुटाई है, लेकिन अब तक कोई ऐसा सबूत नहीं मिला जो सीधे तौर पर रंगनाथन को बच्चों की मौतों से जोड़ सके। लोगों का कहना है कि जिस तरह से जांच को हाई प्रोफाइल दिशा देने की कोशिश हुई, उससे उम्मीदें बढ़ी थीं, लेकिन अब ‘नौ दिन चले अढ़ाई कोस’ जैसी स्थिति बनती दिख रही है।