स्वतंत्र समय, भोपाल
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ( CM Mohan Yadav ) ने कहा कि जैसे ही मुस्लिम लीग के आगे घुटने टेके गए। कांग्रेस के लोग भी इस लाइन पर चल पड़े। इसी आधार पर आगे जाकर बंटवारे की नींव रखी गई। अंग्रेज हमारे यहां व्यापार करने आए थे। व्यापार की रक्षा के बहाने उन्होंने सेना खड़ी की, फिर धीरे-धीरे हमारे बंटे हुए राज्यों को किराए पर उठाने लगे। आज के कलेक्टर अतीत काल में उनके कलेक्शन मैन थे, जो राजस्व संग्रह का काम करते थे।
CM Mohan Yadav ने कहा, देश का विभाजन दु:खद घटना में से एक
मुख्यमंत्री ( CM Mohan Yadav ) ने बुधवार को यह बात भारत-पाकिस्तान बंटवारे की बरसी पर भोपाल के सरोजनी नायडू कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा- देश का विभाजन 20वीं शताब्दी की सबसे दुखद घटनाओं में से एक है। इस त्रासदी का शब्दों में बखान करना करुण और कठिन है। इसकी शुरूआत बहुत पहले हो गई थी। मोहम्मद गजनबी ने सोमनाथ मंदिर नहीं तोड़ा, उसने मंदिर के साथ देश की आजादी को तोडऩे का पहला प्रयास किया था। देश का विभाजन पिछली शताब्दी की सबसे दु :खद दुर्दांत घटनाओं में से एक है। यह त्रासदी पूर्ण घटना है। इस त्रासदी का शब्दों में बखान करना बहुत ही करुण और कठिन है। कई कारणों से लोग इस पर बात भी नहीं करना चाहते। हम भी उस कष्ट को जानते हैं।
राजनीतिक दल अपने प्रण पर दृढ़ नहीं रह सका
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरदार वल्लभ भाई पटेल, नेताजी सुभाषचंद्र बोस जैसे नेता इस षडय़ंत्र के विरूद्ध थे। इन्हें नेतृत्व का मौका नहीं मिला। गणेश उत्सव की शुरूआत करने वाले बाल गंगाधर तिलक, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना करने वाले पंडित मदन मोहन मालवीय, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह जैसे राष्ट्रभक्त हाशिए पर चले गए। देश का बंटवारा नहीं होने देने के लिए प्रतिबद्ध राजनीतिक दल अपने प्रण पर दृढ़ नहीं रह सका। रातों-रात देश के बंटवारे का सिद्धांत बना, लार्ड माउंटबेटन ने उसे स्वीकृति प्रदान की और हमारे भाई-बहनों को विभाजन की विभीषिका झेलनी पड़ी।
राष्ट्रवादी मुसलमानों का सम्मान नहीं किया गया
सीएम यादव ने कहा-देश में राष्ट्रवादी मुसलमानों का सम्मान नहीं किया गया। हमारी सांस्कृतिक एकता के मापदंड को भूलने के परिणामस्वरूप ही देश को विभाजन की विभीषिका झेलनी पड़ी और भीषण नरसंहार भोगना पड़ा। ऐसे कई रेलें थीं जिनके सभी यात्रियों को मार डाला गया, बहन-बेटियों के साथ दुर्व्यवहार किया गया। पंजाब दो भागों में बटा, सिंध हाथ से चला गया और राष्ट्र गान में सिंध का शब्द शेष रह गया।