जब एक तरफा सौहार्द का अपमान हो, तो संयम की सीमा भी टूट जाती- शशी थरूर

ऑल पार्टी डेलिगेशन के प्रमुख के तौर पर बोगोटा (कोलंबिया) पहुंचे  कांग्रेस सांसद शशी थरूर ने ऐसा कहा कि पूरे विश्व में यह संदेश पहुंच गया कि भारत देश में जब देश की सुरक्षा का विषय हो तो सभी राजनैतिक पार्टिया एक है। ऐसा ही संदेश देते हुए शशी थरूर ने कहा कि “जब एक तरफा सौहार्द का अपमान हो, तो संयम की सीमा भी टूट जाती है”  ऐसा कहते हुए शशी थरूर ने मोदी के निर्णय की ताऱिफ करते हुए पाकिस्तान के ओर भारत की नीति को स्पष्ट कर दिया है। इसी के साथ सांसद और कांग्रेस नेता डॉ. शशि थरूर ने कोलंबिया में दिए अपने तीखे बयान में पाकिस्तान को आड़े हाथों लेते आतंकवाद के खिलाफ कठोर प्रतिक्रिया दी।

1960  से नेक नीयत दिखा रहा भारत
ऑल पार्टी डेलिगेशन के प्रमुख के तौर पर बोगोटा पहुंचे थरूर ने साफ शब्दों में कहा कि भारत ने 1960 में नेक नीयत से सिंधु जल संधि की थी, लेकिन पाकिस्तान लगातार आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है। अब भारत सिर्फ ‘दयालु’ नहीं रहेगा। बल्कि अब देश अपनी आत्मरक्षा के अधिकार का प्रयोग भी करेगा। शशी थरूर ने भावनात्मक लहजे में कहा कि “भारत ने ऊपरी तटीय देश होते हुए भी पाकिस्तान को संधि के तहत उदारता दिखाई। हमने कभी अपने हिस्से का पानी तक पूरा इस्तेमाल नहीं किया। लेकिन अब वक्त आ गया है कि जब भारत को सिर्फ नेक नीयति से काम चलाना बंद करना होगा। उनका इशारा साफ था कि अब भारत आतंकवाद के खिलाफ नरमी नहीं, बल्कि निर्णायक कार्रवाई के रास्ते पर चलेगा।

भारत के लिए पहलगाम हमला है अंतिम सीमा
शशी थरूर ने बोगोटा में कहा कि 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले को भारत के धैर्य की अंतिम सीमा बन गया है। उन्होंने कहा कि “दुनिया ने निंदा तो की, पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया । पाकिस्तान में न कोई गिरफ्तारी हुई  न कोई मुकदमा तो क्या हम पाकिस्तान को ऐसे ही जुर्म करने की छूट देते रहे और अपनी दयालूता दिखाते रहे..? शशी थरूर ने यह भी कहा कि कोलंबियाई सरकार ने भारत पर हुए आतंकी हमले को नजरअंदाज कर दिया, लेकिन पाकिस्तान में मारे गए आतंकियों पर शोक जताया। उन्होंने इस दोहरे रवैये को ‘न्याय के मूल सिद्धांतों के खिलाफ’ बताया। गौरतलब है कि इस प्रतिनिधिमंडल में विभिन्न पार्टियों के नेता शामिल हुए है। जो अलग-अलग देशों में जा कर भारत का आंतकवाद के खिलाफ पक्ष रख रहे है। तेजस्वी सूर्या, मिलिंद देवड़ा, भुवनेश्वर कालिता, शांभवी चौधरी, शशांक मणि त्रिपाठी, और पूर्व अमेरिकी राजदूत तरनजीत सिंह संधू भी इस दौरे का हिस्सा रहे।