शिकायत सहीं मिली तो 90 दिन में नपेंगे IAS, आईपीएस

स्वतंत्र समय, भोपाल/नई दिल्ली

भारत सरकार अथवा राज्य सरकार में सचिव या आईएएस ( IAS ) आईपीएस अधिकारी के खिलाफ कोई ठोस शिकायत मिलती है तो उसकी जांच होगी और 90 दिन के भीतर ऐसे अधिकारी नपेंगे। ऐसे मामलों में कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाला समूह यानी ‘ग्रुप ऑफ सेके्रटरी’ कार्रवाई करेगा। डीओपीटी ने कहा-ऐसी गुमनाम शिकायतों पर एक्शन लेने की कोई जरुरत नहीं है, जिन पर नाम व पता नहीं लिखा होगा। किसी शिकायत में लगाए गए आरोप अस्पष्ट हैं तो उसे शिकायत कर्ता की पहचान किए बिना ही समाप्त किया जा सकता है।

IAS की शिकायत 15 दिनों में पहुंचनी चाहिए

केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों के विरुद्ध मिलने वाली ऐसी शिकायतें, जिनका संबंध आईएएस ( IAS ), आईपीएस तथा आईएफएस अधिकारियों या केंद्र सरकार के कर्मचारियों से है और वे राज्य सरकारों से जुड़े मामले देख रहे हैं, इस स्थिति में उस शिकायत को संबंधित राज्य सरकार के पास भेजा जाएगा। राज्य सरकार पेरा 5 व पेरा 6 के तहत उस शिकायत पर कार्रवाई कर सकती है। राज्य सरकार जब उस अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ मिली शिकायत की जांच करने के निर्णय पर पहुंचती है तो 15 दिन के भीतर शिकायत की कॉपी, उस अधिकारी या कर्मचारी को देनी चाहिए, जिसके खिलाफ जांच की जानी है।

तीन माह के भीतर देनी होगी जांच रिपोर्ट

शिकायत मिलने के बाद जब मंत्रालय या विभाग ये तय कर लेता है कि अब मामले की जांच की जाएगी तो यह प्रक्रिया तीन माह में पूरी करनी होगी। इसके लिए सभी मंत्रालयों और विभागों में रिव्यू कमेटी गठित की जाएगी। एडीशनल सेक्रेटरी रैंक का अधिकारी, रिव्यू कमेटी को हेड करेगा। संबंधित मंत्रालय का सीवीओ और ज्वाइंट सेक्रेटरी ,एडीशनल सेक्रेटरी इनचार्ज, कमेटी में बतौर सदस्य शामिल होंगे। रिव्यू कमेटी मासिक बैठक कर उन सभी शिकायतों को निपटाने का प्रयास करेगी, जिनमें दो माह बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। उस मामले में पेरा 8 के तहत राज्य सरकारें भी इसी प्रक्रिया का पालन करेंगी।

कैबिनेट सेक्रेटरी के पास जाएगी शिकायत

भारत सरकार के सचिव, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, सीएमडी व पीएसई,पीएसबी के कार्यात्मक निदेशक के खिलाफ कैबिनेट सचिवालय, डीओपीटी और पीएमओ को अगर इस तरह की शिकायतें मिलती हैं तो कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाला समूह ‘ग्रुप ऑफ सेक्रेटरी’ उनकी छंटनी करेगा। डीओपीटी के अनुसार, भारत सरकार के सचिव के खिलाफ अगर इस तरह की कोई शिकायत कैबिनेट सचिवालय, डीओपीटी या प्रधानमंत्री कार्यालय के पास आती है, भले ही वह छद्म तरीके से ही क्यों न आई हो, उसे कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाले समूह के पास ही भेजा जाएगा। डीओपीटी को यह निर्देश इसलिए भी जारी करने पडेÞ, क्योंकि राज्यों से पीएमओ, डीओपीटी में लगातार शिकायतें मिलती रहती हैं।