Congress की ग्वालियर-मुरैना सीट पर नहीं बन पा रही सहमति

स्वतंत्र समय, ग्वालियर

प्रत्याशी चयन के मामले में पिछड़ती जा रही कांग्रेस (Congress) अब तक ग्वालियर-चम्बल संभाग की दो महत्वपूर्ण लोकसभा सीटों को लेकर अब भी उलझन में हैं। ग्वालियर और मुरैना अत्यंत महत्वपूर्ण इसलिए भी हैं कि ग्वालियर में कांग्रेस के चार विधायक हैं जबकि मुरैना संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस के पास 5 विधायक हैं। ऐसे में दोनों ही क्षेत्रों पर कांग्रेस ऐसे प्रत्याशियों के नाम ढूंड रही है जो पार्टी को सीट पर जीत दिला दे। यही कारण है कि पार्टी अब तक एक नाम तय नहीं कर पा रही है। ग्वालियर लोकसभा क्षेत्र से जातिगत समीकरणों के साथ ही मामला युवा और वरिष्ठ के बीच फंसा हुआ है। पहले पार्टी भाजपा प्रत्याशी भारत सिंह कुशवाह के मुकाबले पिछड़ा वर्ग के ही रामसेवक ङ्क्षसह गुर्जर बाबूजी का नाम लगभग तय मान कर चल रही थी। लेकिन अब मितेन्द्र दर्शन ङ्क्षसह का नाम पिछड़ा वर्ग से हैं चर्चा में है देखा जा रहा है। मितेन्द्र युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय पदाधिकारी हैं। कांग्रेस के सामने अब यही सबसे बड़ी दुविधा है कि पूर्व संासद रामसेवक बाबूजी वरिष्ठ भी हैं और अनुभवी भी उन्हें मौका दिया जाए। प्रत्याशी का चयन कांग्रेस आलाकमान इन्हीं दो नामों में से किसी एक का करेगा यह तय माना जा सकता है। सूत्र बताते हैं कि गत दिवस जीतू पटवारी ने मितेन्द्र का नाम आगे किया है।

भिण्ड सीट पर Congress-बीजेपी में कांटे की लड़ाई

भिण्ड सुरक्षित सीट पर भाजपा प्रत्याशी पार्टी की सिटिंग सांसद संध्या राय और कांग्रेस (Congress) के विधायक फूल सिंह बरैया के बीच मुकाबला कांटे का मामना जा रहा है। क्योंकि संध्या राय को लेकर उनकी ही पार्टी के लोगों के बीच नाराजगी है। जिसका असर चुनाव पर पड़ता दिखाई दे रहा है। भिंड के लोगों का कहना है कि संध्या राय ने अपने लोगों को आगे बढ़ाया है। आम आदमी के लिए वे कभी भी मैदान में नहीं पहुंची हैं।

गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट से मुकाबला रोचक

कांग्रेस (Congress) ने गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट से अरुण यादव और राजगढ़ सीट से प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय ङ्क्षसह को मैदान में उतारकर दोनों ही सीटों पर मुकाबले को रोचक बना दिया है। गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र यादव बहुल है और भाजपा ने यहां से अपने सिटिंग सांसद डॉ. केपी यादव का टिकट काटकर केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य ङ्क्षसधिया को टिकट दिया है। अपने सांसद का टिकट काटे जाने से यादव समाज में भाजपा के प्रति नाराजगी है। जो चुनाव में होने वाले मतदान में दिखाई देगी। यही कारण रहा कि अरुण यादव ने स्वयं ही कांग्रेस आलाकमान से गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र चुनाव मैदान में उतारने की मांग की थी। राजगढ़ सीट पर दिग्विजय सिंह दो बार सांसद चुनाव जीत चुके हैं और उनके बाद उनके भाई लक्ष्मण ङ्क्षसंह इस सीट पर कई बार चुनाव जीतते रहे। माना जा सकता है राघौगढ़ राज परिवार का राजगढ़ सीट पर प्रभुत्व रहा है। जो कांग्रेस के लिए फायदेमंद हो सकता है।

नीटू को मिला तो मुकाबला क्षत्रिय बनाम क्षत्रिय

कांग्रेस मुरैना संसदीय क्षेत्र से भी प्रत्याशी के चयन में उलझी हुई है। यहां पर दो प्रबल दावेदारों के नाम पार्टी के पास है। जिनमें एक हैं जौरा विधान सभा से निर्वाचित विधायक पंकज उपाध्याय और दूसरा नाम है पूर्व विधायक सत्यपाल सिंह सिकरवार नीटू का, पार्टी इन दोनों ही नाम पर जातीय और जीत के समीकरण पर मंथन कर रही है। दोनों ही दावेदार चुनावी विजय के लिए पूरी तरह से आश्वस्त नजर आते है। यदि पार्टी सत्यपाल सिंह सिकरवार नीटू को मैदान में उतारती है तो मुकाबला क्षत्रिय बनाम क्षत्रिय होगा। एक ओर पूर्व केन्द्रीय मंत्री और वर्तमान में प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र ङ्क्षसह तोमर खेमे के शिवमंगल सिंह तोमर भाजपा प्रत्याशी हैं तो दूसरी तरफ सुमावली विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे सत्यपाल ङ्क्षसह सिकरवार का पारिवारिक माहौल पूरी तरह से राजनीतिक रहा है। सत्यपाल सिंह सिकरवार को चुनावी राजनीति का अच्छा खासा अनुभव भी है। अब देखना यह है कि पार्टी किसके नाम को हरी झण्डी दिखाती है।