सोशल मीडिया से कांग्रेस कार्यकर्ताओ को पोस्ट हटाने की चेतावनी, पार्टी ने दिया अल्टीमेटम

मध्यप्रदेश में जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के बाद घमासान मच गया है। पूरे प्रदेश में कांग्रेस में हलचल मच गई है। जहां कांग्रेस ने अपनी पकड़ मजबुत करने के लिए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति की थी इसके विपरित कांग्रेस में अंदरूनी कलह हो गई। जिससे निपटने के लिए अब कांग्रेस पार्टी मैदान में उतर रही है। जहां कल पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने प्रेस कांफेस लेकर सभी जिलाध्यक्षो की नियुक्ति राहुल गांधी के द्वारा किए जाने की बात कही वहीं आज कांग्रेस आला कमान ने मध्यप्रदेश में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को सोशल मीडिया से अपनी पोस्ट हटाने को लेकर चेतावनी दी है।

कांग्रेस हुई सख्त
कांग्रेस पार्टी अब जिला अध्यक्षों की नियुक्तियों के विरोध पर सख्त नजर आ रही है। पार्टी की तरफ से अपने कार्यकर्ताओं को कड़ा चेतावनी पत्र जारी किया गया है। जारी पत्र में जिला अध्यक्षों की नियुक्तियों के विरोध में सोशल मीडिया पर किए गए पोस्ट को हटाने के निर्देश दिए गए हैं। एमपी कांग्रेस ने कार्यकर्ताओं को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। साथ ही निर्देश को न मानने वालों पर सख्त कार्रवाई की बात कही गई है।

6 माह में कांग्रेस देखेगी जिलाध्यक्ष के कार्य
पीसीसी चीफ ने जहां जिलाध्यक्षों की नियुक्ति पर सफाई दी कि जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में मेरा जरा भी दखल नहीं रहा है। संगठन सृजन अभियान के तहत ही सभी को जिम्मेदारी दी गई है। इसके साथ ही जीतू पटवारी ने एक बड़ी बात कही है कि सभी जिलाध्यक्षों के काम को 6 महीने तक बारीकी से देखा जाएगा। अगर कोई जिलाध्यक्ष कसौटी पर खरा नहीं उतरता है तो फिर उसे हटाकर दूसरे को जिम्मेदारी दी जाएगी। इसके अलावा जिन जिलों में अनुशासनहीनता या पिछले चुनाव में भीतरघात की शिकायतें हैं, वहां पर सख्ती से जांच की जा रही है।

इन जिलों में जारी है विरोध
एमपी के गुना, रीवा, सतना, इंदौर, उज्जैन, भिंड, अशोकनगर, दतिया, मंदसौर, अनूपपुर, मुरैना, बुरहानपुर, डिंडोरी, देवास जैसे 15 जिलों में नए अध्यक्षों का जमकर विरोध हुआ। इंदौर जैसे कुछ जिलों में प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ सोशल मीडिया में विरोध देखने को मिला तो मीनाक्षी नटराजन के करीबी कहे जाने वाले उमरिया व मंदसौर अध्यक्षों के नामों पर भी आपत्तियां आईं है।

पूर्व कांग्रेस मंत्रियों के नाम दिल्ली से हुए है तय
कांग्रेस के शासन काल में जिन नेताओं को मंत्री का दर्जा दिया गया था। उन्हें राहुल गांधी ने संगठन सजृन के नाम पर जिलाध्यक्ष बना दिया। जिसका कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भारी विरोध है। सबसे ज्यादा गहमा-गहमी पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के गढ़ कहे जाने वाले गुना व राजगढ़ में रही। यहां कई कार्यकर्ताओं का कहना था कि विधायक एवं पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह प्रदेश स्तर के नेता हैं, उन्हें जिले तक सीमित करके उनका कद घटवाया है। इसके लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी को जिम्मेदार ठहराया गया। जबकि बताया जा रहा है कि दिग्विजय के बेटे जयवर्धन, भतीजे प्रियव्रत व विधायक ओमकार, पूर्व विधायक विपिन , प्रतिभा रघुवंशी, विधायक सिद्धार्थ, मनीष चौधरी, विधायक महेश परमार को जिला अध्यक्ष बनाने का निर्णय दिल्ली नेतृत्व का है।