प्रखर – वाणी
विमानन सेवाओं में कमी बढ़ रही है…एयरलाइंस कम्पनियां नई नई इबारत गढ़ रही है…भारी भरकम शुल्क देने के बाद भी उपभोक्ता ठगा जा रहा है…लिंक फ्लाइट के चक्रव्यूह में यात्री दगा पा रहा है…यात्रा व्यय जी भरकर वसूलते हैं…मगर यात्री विमानतल पर झूलते हैं…कभी बोर्डिंग को लेकर परेशानी…कभी चेक इन की समस्या जानी…काउंटर पर लगातार भीड़ उपलब्ध कर्मचारियों की कमी…वाह रे ऊंची उड़ान वालों तुम्हारी जमीनी हकीकत नहीं जमी…
बड़े महानगरों के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर जहां टर्मिनल अनेक होते हैं…वहां यात्री सिर्फ भागते दौड़ते सामान ही ढोते हैं…कई हजार मीटर चलने के बाद कहीं द्वार आता है…वहां पहुँचकर पता चलता है कि कर्मचारी पुकार लगाता है…यदि फ्लाइट छूट जाए या निरस्त करवाना हो तो कोई धनराशि की वापसी नहीं होती…लेकिन यदि विमानन कम्पनी की चूक या लापरवाही से घण्टों उपभोक्ता परेशान भी हो तो उसकी भरपाई नहीं होती…ये बात सच है कि दूरियों को घटाने और यात्रा को सुलभ बनाने में हवाई सेवाओं का महत्वपूर्ण योगदान है…
मगर ये भी सच है कि प्रतिस्पर्धा के इस दौर में प्रतिष्ठित विमानन कम्पनियों को सेवा में कमी का भी रखना होगा ध्यान है…घण्टों पहले से उपस्थित होकर प्रतीक्षारत को आखरी वक्त में उड़ान निरस्ती की जानकारी मिलती है…तब उसकी आत्मा झल्लाते हुए इस तात्कालिक सूचना से फूलती है…लिंक फ्लाइट में दो कम्पनियों के संवाद कमी के बीच जनता झूलती है…विमानतल पर परेशान यात्रियों के सम्मुख कम्पनी सेवा की पोल खुलती है…प्रवेश में सख्ती दिखाकर जो माहौल विमानतल की ख्याति का बनता है…प्रवेश उपरांत इधर उधर भटकते यात्री का शिकायत हेतु सीना तनता है…
सुरक्षा जांच की सख्ती तो याद रहती है मगर सेवा में कमी का अभाव…दो दिनों तक परेशान यात्री के खाने पीने व ठहरने की व्यवस्था न हो तो बेशक आता है ताव…समय रहते यदि सुविधाओं और व्यवस्थाओं में सुधार नहीं हुआ तो यात्री मचल जाएंगे…हवाई यात्रा के संकट से नहीं उबरे तो दूसरी सेवाओं से ही यात्रा पर निकल जाएंगे ।