देश का स्वाभिमान बढ़ाते हुए संविधान दिवस मनाया गया। इसके साथ ही भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने माता सीता के नाम का भी मान बढ़ा दिया। बता दें कि मैथिली भाषा का उदय मिथिला देश से हुआ था जो कि माता सीती की जन्मस्थली थी। देश की राष्ट्रपति ने 75 वें संविधान दिवस पर भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भारत के संविधान का संस्कृत और मैथिली भाषा में विमोचन किया। अपनी देवभाषा में संविधान के विमोचन पर पूरा सदन गौरवान्वित हो गया। राष्ट्रपति ने स्मारकर सिक्के और डाक टिकट भी जारी किया।
माता सीता के नाम पर आधारित है मैथिली
मैथिली नाम मिथिला शब्द से लिया गया है। वहीं माता सीता को मैथिली के नाम से भी जाना जाता है। वहीं मैथिली भाषा में संविधान का विमोचन करके भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने पुरे भारतवासियों का मान बढ़ा दिया है। वहीं राष्ट्रपति ने देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारा संविधान जीवंत और प्रगतिशील दस्तावेज है।
संविधान लोकतंत्र की है आधारशीला
भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने ‘संविधान दिवस’ के अवसर पर संसद के दोनों सदनों के सदस्यों को संबोधित किया। संविधान के 75 साल पूरे होने पर स्मारक सिक्के का विमोचन किया और डाक टिकट भी जारी किया। संविधान के 75 साल पूरे होने पर संसद के दोनों सदनों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुर्मु ने सभी देशवासियों को बधाई दी। राष्ट्रपति ने कहा कि संविधान लोकतंत्र की आधारशीला है। संविधान देश का सबसे पवित्र ग्रंथ है। भारत लोकतंत्र की जननी है। उन्होंने कहा हमारा संविधान प्रगतिशील और समावेशी है। वहीं पीएम मोदी ने भी ट्विटर पर देशवासियों के बधाई दी।